जयपुरिया स्कूल में सजी संगीत की महफिल, मनाया गया आजादी का अमृत महोत्सव

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लखनऊः राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित विद्यालय सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल की गोमती नगर शाखा में “श्रुति अमृत आजादी का अमृत महोत्सव” मनाया गया। इस दौरान स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और स्पिक मैके के आपसी सहयोग से किया गया।

आजादी का अमृत महोत्सव भारत सरकार की एक मुहिम और पहल है। इसके अंर्तगत आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश की समृद्ध, संस्कृति, जनता की उपलब्धियों और हमारे गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाया जा रहा है। यह अपने प्राचीन और गौरवशाली अतीत के साथ संबंधों के नवीनीकरण और अपनी जड़ों तथा प्राचीन विरासत पर गर्व करते हुए एक बेहतर कल की दिशा में राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध होने का समय है। स्पिक मैक को सेठ एमआर जयपुरिया के सहयोग से लखनऊ में श्रुति अमृत श्रृंखला का कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका मकसद छात्र-छा़त्राओं व युवाओं को संगीत की अनेक विधाओं से अवगत कराना था। सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल की प्रधानाचार्या प्रॉमिनी चोपड़ा इस आयोजन को लेकर अत्यन्त उत्साहित नजर आईं। उन्होंने स्वयं कार्यक्रम में भाग लेने आए कलाकारों व दर्शकों का स्वागत किया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि आजादी के 75वें वर्ष पर सुरों से भरा यह कार्यक्रम आयोजित करते हुए बहुत खुशी की अनुभूति हो रही है।

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कार्यक्रम का आयोजन जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के ऑडिटोरियम में किया गया। देश भर के प्रतिष्ठित कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय नृत्य के सौंदर्य का अनुभव करने पहुंचे। संगीत के रस से सराबोर इस कार्यक्रम का गजब उत्साह भी दर्शकों के बीच नजर आया। इसके अलावा संगीत सीख रहे छात्र-छात्राओं के लिए यह अलग ही तरह का अनुभव करने का समय था। यह कार्यक्रम सभी कला प्रेमियों के लिए एक अनोखा और यादगार अनुभव सिद्ध हुआ। कार्यक्रम का संचालन करने वालों में कक्षा 10 और 11 के विद्यार्थी प्राची शाही, अक्षत गोयल, सूर्याश सिंह, आदित्य हिमांशु पान्या मित्तल और किजल सिंह शामिल रहे।

इस दो दिवसीय कार्यक्रम में पहले दिन की शुरूआत शुक्रवार चार अगस्त को शाम 05 बजे दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। कार्यक्रम का आरंभ ओट्टमथुल्लल नृत्य शैली के बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार कलामंडलम मोहनकृष्णन के नृत्य से हुआ। दर्शकों को यह नृत्य बेहद ही पंसद आया। इस नृत्य में थोड़ा हास्य का समावेश भी किया गया था, जिसकी वजह से 20 मिनट से ज्यादा चले इस नृत्य ने दर्शकों को बांधे रखा। पूरे नृत्य के दौरान कई बार ऑडिटोरियम हॉल दर्शकों की तालियों से गूंज गया। उसके पश्चात सुप्रसिद्ध ठुमरी गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी के गायन ने संगीत प्रेमियों का दिल जीत लिया। इससे पहले जिस सरल और आम बोल-चाल की भाषा में मालिनी अवस्थी ने छात्र-छात्राओं और वहां मौजूद दर्शकों को ठुमरी गायन और बंदिश के साथ-साथ संगीत की संक्षिप्त जानकरी दी, वह बेहद ही प्रभावशाली थी। कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरूआत पद्मश्री माधवी मुद्गल और उनकी प्रतिभाशाली शिष्या आरूषि मुदगल के ओडिशी नृत्य से हुई। ओडिशी नृत्य करने वाली कलाकारों की भाव-भंगिमाओं ने समा बांध दिया।

नृत्य के दौरान पायल की झनकार से गूंज रहे ऑडिटोरियम में संगीत और नृत्य का अनोखा संगम दिखा। दर्शकों को इस कार्यक्रम ने भी अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उसके पश्चात सीकर घराने के अद्वितीय कलाकार साबिर खान का सारंगी वादन का कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में सरस्वती वंदना के साथ कई रागों पर सारंगी बजा कर साबिर खान ने स्रोताओं का दिल जीत लिया। इस दौरान सारंगी वादक साबिर ने आम जीवन से जुड़ी कई घटनाओं पर सारंगी से धुन निकाल कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत में शास्त्रीय संगीत की ख्याल शैली के महान गायक पद्मभूषण पंडित साजन मिश्रा की प्रस्तुति भी हुई। संगीत की इस महफिल ने राजधानी के लोगों का जो मनोरंजन किया, उसे बरसों याद रखा जाएगा। कार्यक्रम देख कर निकल रहे दर्शकों ने भी ऐसे संगीतमय कार्यक्रम की दिल खोल कर प्रशंसा की।

क्या है स्पिक मैके

स्पिक मैके युवाओं के बीच भारतीय शास्त्रीय नृत्य-संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आरंभ किया गया एक स्वैच्छिक आंदोलन है। यह संस्था भारतीय शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य, लोक संगीत लोक नृत्य के कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन करके भारतीय और विश्व विरासत के मूर्त और अमूर्त पहलुओं को प्रोत्साहित करता है। इसमें योग, ध्यान, शिल्प और भारतीय संस्कृति के अन्य पक्ष भी शामिल है। यह संस्था 1977 से कार्य कर रही है। स्पिक मैके का मुख्य उद्देश्य यह है कि सभी बच्चे भारतीय और विश्व विरासत में सन्निहित ऊर्जा, प्रेरणा और आध्यात्मिकता का अनुभव करें।

रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान