Mulayam Singh Yadav: एक ऐसा पहलवान जिसने सियासी दंगल में बड़े-बड़े धुरंधरों को दी पटखनी

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Mulayam Singh Yadav Death Anniversary
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Mulayam Singh Yadav Death Anniversary

Mulayam Singh Yadav Death Anniversary: समाजवादी पार्टी के संस्थापक व देश के पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव की पहली पुण्यतिथि है। मुलायम की पुण्यतिथि पर जगह-जगह श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जाएंगी। नेता जी की पुण्यतिथि पर आज उनके पैतृक गांव सैफई में श्रद्धांजलि दी जाएगी। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सपा अध्यक्ष व पूर्व सीएम अखिलेश यादव व उनके परिवार समेत तमाम दिग्गज मौजूद रहेंगे। पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव भले अब इस दुनिया में न हों, लेकिन उनके राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन को हमेशा याद रखा जाएगा।

चरखा दांव से बड़े-बड़े दिग्गजों को चटाई धूल

मुलायम (Mulayam Singh Yadav) एक ऐसी शख्सियत थे जिनके दांव-पेच को राजनीति में आज भी लोग फॉलो करते हैं। अखाड़ा छोड़कर राजनीति में आए मुलायम सिंह यादव का चरखा दांव बहुत मशहूर था। अखाड़े की मिट्टी में बड़े हुए मुलायम सिंह ने अपने पसंदीदा ‘चरखा’ दांव का राजनीति में भी खूब इस्तेमाल किया। इस चरखा दांव से मुलायम ने बड़े-बड़े दिग्गजों को धूल चटाई। मुलायम सिंह यादव की यूपी की राजनीति में एक अलग ही पहचान रही है। उन्होंने यूपी की राजनीति ही बदल कर रख दी। वो जमीन से जुड़े नेता थे, जिसके चलते उन्हें ‘धरती पुत्र’ भी कहा जाता था।

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इतना ही नहीं लोग प्यार से उन्हें नेताजी भी कहते थे। छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखने वाले नेता जी फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर मुलायम सिंह यादव अपने सियासी दंगल में बड़े-बड़े धुरंधरों को पटखनी दी। यही कारण है वो देश के रक्षामंत्री और तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री भी बने।आज समाजवादी पार्टी प्रदेश की दूसरी सबसे ताकतवर पार्टी है।

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छात्र राजनीति से रखा कदम

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। नेता जी की माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह यादव था। मुलायम अपने पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई सैफई में हुई थी। इसके बाद उन्होंने करहल के जैन इंटर कॉलेज से 12वीं तक पढाई की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए इटावा चले गए। यहां के केकेडीसी कॉलेज से मुलायम सिंह ने बीए किया। इसके शिकोहाबाद के डिग्री कॉलेज से एमएम में राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल और फिर बीटी करके कुछ समय तक एक इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षक काम किया।

इंदिरा गांधी के आपातकाल की घोषणा का किया था कड़ा विरोध

मुलायम सिंह शुरुआती दिनों से ही छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। वह वर्ष 1967 में पहली बार जसवन्त नगर सीट से विधायक चुने गये। मुलायम के सियासी जीवन में उतार-चढ़ाव जरूर आए, लेकिन वह अपने समर्थकों के लिए हमेशा नेता जी बने रहे। उन्होंने 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा देश में आपातकाल की घोषणा का भी कड़ा विरोध किया था।

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उन्हीं की देन थी साल 2012 विधानसभा चुनाव में सपा को अकेले दम पर पूर्ण बहुमत मिला और उनके बेटे अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे। बता दें कि नेताजी मुलायम सिंह यादव का पिछले साल 10 अक्टूबर को मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था। वह लंबे समय से बीमार हैं। नेताजी की मृत्यु के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।

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