Mukhtar Ansari: उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को 36 साल पुराने गाजीपुर फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। मुख्तार अंसारी पर जुर्माना भी लगाया गया है। माफिया मुख्तार की सजा को लेकर 54 पेज का फैसला आया है।
विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई। इस दौरान मुख्तार की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। 5 जून 2023 को इसी कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को अवधेश राय हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा हो चुकी है। आठवें मामले में दोषी करार दिया गया।
फर्जी हस्ताक्षर कर लिया गया था शस्त्र लाइसेंस
मुख्तार अंसारी के खिलाफ अभियोजन पक्ष का आरोप था कि 10 जून 1987 को डबल बैरल कारतूस बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया गया था। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया। इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद सीबी-सीआईडी की ओर से 4 दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाने में तत्कालीन उपजिलाधिकारी मुख्तार अंसारी समेत पांच लोगों के खिलाफ नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था।
यह भी पढ़ें-तलाक के बाद भी रीना ने नहीं छोड़ा आमिर खान का परिवार, किरण राव का बड़ा खुलासा
20 मामले अभी भी लंबित
मुख्तार के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने बताया कि घटना के वक्त वह महज 20 से 22 साल के थे। उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। वकील ने कहा कि मुख्तार उस वक्त जन प्रतिनिधि भी नहीं थे, हथियार खरीदने का कोई सबूत नहीं है। चूँकि उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी कर दिया गया है, इसलिए इस अदालत को उन धाराओं के तहत सजा देने का अधिकार नहीं है जिनमें उन्हें दोषी पाया गया था।
हालांकि, अभियोजन पक्ष ने कहा कि प्रभाव का इस्तेमाल किया गया, जो एक असामाजिक अपराध है। सात मामलों में सजा सुनाई गई है, जिसमें उम्रकैद भी शामिल है। 20 मामले अभी भी लंबित हैं, इसलिए अधिकतम सजा दी जानी चाहिए।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)