नम आंखों के साथ सुपुर्दे-ए-खाक किये गए ताजिये, थम गई मातमी धुनें

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बांदाः पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाने वाला मोहर्रम (muharram) का पर्व मंगलवार को सम्पन्न हो गया। दस दिनों तक चलने वाले मोहर्रम पर्व की दसवीं मंगलवार को मनाई गई। इससे पूर्व नवीं की रात शहर के आधा सैकड़ा से ज्यादा इमाम बाड़ों में अलाव खेले गए। जिसे देखने के लिए देर तक लोग इमाम बाड़ों में भीड़ लगाए रहे।

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इसके बाद ढाल सवारियां उठाईं गई। जो रात भर शहर में भ्रमण करती रहीं, ज़गह- ज़गह लोगों ने पंडाल लगाकर चाय काफी, फालूदा, शर्बत, पुलाव लड्डू आदि का लंगर किया। दसवीं की दोपहर मंगलवार को शहर के लगभग 168 इमाम बाड़ों से ढाल सवारियां, नेज़े, आलम, और ताजिये उठाये गए। बलखण्डी नाका से कटरा रोड पूरी तरह लोगों भरा रहा। उधर कर्बला का पूरा मैदान अकीदत मन्दों से भरा रहा। मुस्लिम समुदाय के बहुत से लोग मोहर्रम में रोज़ा रखते हैं जिसके मद्देनज़र कर्बला में मोहर्रम कमेटी ने रोजेदारों के लिए रोज़ा इफ्तार का इंतज़ाम किया।

इधर सभी इमाम बाड़ों के ताजिये ढाल नेज़े आलम आदि मातमी धुनों के साथ अपने अपने निर्धारित रास्तों से कर्बला पहुंचे। जहां नम आंखों के साथ सभी ढाल ताजियों को सुपुर्दे खाक किया गया। इसी के साथ दस दिनों तक चलने वाला मोहर्रम का पर्व सम्पन्न हो गया। पूरे कार्यक्रम में पुलिस सुरक्षा चुस्त दुरुस्त रही। समापन के बाद मोहर्रम कमेटी के नव नियुक्त अध्यक्ष डाक्टर शोएब नियाज़ी और उनकी टीम ने जिला प्रशाशन और पुलिस प्रशासन का आभास व्यक्त किया।

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