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MP: कूनो नेशनल पार्क में चीतों के साथ अपना जन्मदिन मनाएंगे PM मोदी

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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन के दिन मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान का दौरा करेंगे, जहां नामीबिया से चीतों को छोड़ा जाएगा। जंगली चीतों को भारत में लाने से वन्य जीवन और उनके विकास को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। 1952 में चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

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सूत्रों के मुताबिक 70 सालों बाद देश की सरजमीं पर चीता दिखाई देगा। ये चीते अफ्रीका के नामीबिया से चीता प्रोजेक्ट के तहत लाये जा रहे हैं। चीतों को साल की शुरूआत में एक समझौता ज्ञापन के तहत लाया गया है। बाद में प्रधानमंत्री कराहल, श्योपुर में महिला एसएचजी सदस्यों और सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों के साथ स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में भाग लेंगे।

दरअसल, देश में एशियाटिक चीता तकरीबन 70 सालों से विलुप्त श्रेणी में माने जा रहे थे।इसी वजह से भारत सरकार 2009 में चीता पुनर्वास योजना लाई जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में मंजूरी दी इसके बाद सरकार के प्रयासों से कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य में अफ्रीका महाद्वीप के नामीबिया से लाए जा रहे है।देश में एमपी के कूनो-पालपुर वन्यजीव अभयारण्य को भारत का पहला चीता अभयारण्य नामित किया गया है।

अफ्रीकन चीतों की शिफ्टिंग के कार्रयक्रम में होंगे शामिल

भाजपा का संगठन भी प्रधानमंत्री के प्रवास को खास बनाना चाहता है। प्रधानमंत्री के प्रवास को लेकर प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा, यह मध्यप्रदेश के कार्यकर्ताओं के लिए गौरव की बात है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में आठ अफ्रीकन चीतों की शिफ्टिंग के लिए आ रहे हैं। उनके इस दौरे से पार्टी के सभी कार्यकर्ता उत्साहित हैं और उनके स्वागत की तैयारियों में जुटे हैं। प्रधानमंत्री के जन्मदिन से महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर तक भाजपा सेवा पखवाड़ा मनाएगी। इसके अंतर्गत रक्तदान शिविर समेत सेवा के अनेकों अभियान चलाये जायेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री के इस दौरे से राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो जाएगा और भाजपा चुनावी रोडमैप भी नजर आने लगेगी। कुल मिलाकर भाजपा अब पूरी तरह चुनावी मोड में होगी और कांग्रेस के राहुल गांधी की पदयात्रा राज्य में आने से पहले अपना सियासी दाव चलने में पीछे नहीं रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 2018 के चुनावी नतीजों को भाजपा अब तक भूल नहीं पाई है।

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