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MP Nagar Nigam Election: सब्जी और दूध बेचने वाला किसान का बेटा बना महापौर

भोपालः जनता को कौन सा राजनेता अपना हितैषी नजर आ जाए, इसकी कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। यही कारण है कि कई बार चौकाने वाले नतीजे सामने आते हैं। ऐस ही कुछ हुआ मध्य प्रदेश के रतलाम में यहां महापौर का चुनाव जीतने वाले प्रहलाद पटेल किसान के बेटे हैं और वे सब्जी और दूध भी बेचा करते थे। दरअसल राज्य में हुए नगरीय निकाय के चुनाव में भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों ने कई स्थानों पर नए चेहरों को मौका दिया। दोनों ही दलों ने कई ऐसे उम्मीदवार मैदान में उतारे जिनकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे, उन्हीं में से एक थे रतलाम के प्रहलाद पटेल जिन्हें भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। पटेल इससे पहले पार्षद भी रह चुके हैं।

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पटेल खुद कहते हैं कि उनकी पृष्ठभूमि किसान परिवार है और उन्होंने सब्जी और दूध भी बेचा है। यह उनकी बड़ी सफलता है और जनता का प्यार है जो वे महापौर निर्वाचित हुए हैं। पटेल अपना राजनीतिक गुरु और संरक्षक क्षेत्रीय विधायक चेतन कश्यप को मानते हैं। भाजपा में रतलाम में उम्मीदवार तय करने को लेकर काफी जद्दोजहद चली थी और लंबे विचार-विमर्श के बाद प्रहलाद पटेल को उम्मीदवार बनाया गया था।

शादियों में जूठी प्लेट उठाने वाला बना छिंदवाड़ा का महापौर

कोई भी सफलता के पीछे संघर्षों की एक बड़ी कहानी होती है, ऐसी ही कहानी है मध्य प्रदेश में सबसे कम उम्र के छिंदवाड़ा नगर निगम के महापौर बने विक्रम आहाके की। 31 साल के विक्रम के छिंदवाड़ा महापौर बनने के पीछे उनका संघर्ष सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

नवनियुक्त महापौर विक्रम आहाके ने बताया कि,"पढ़ाई के दौरान छुट्टियों के दिन में, मैं अपने परिवार का हाथ बंटाने के लिए छिंदवाड़ा में एक कैटरिंग सर्विस करने वाले व्यक्ति के पास काम करता था. इस दौरान मैंने शादियों के अलावा दूसरे सार्वजनिक कार्यक्रमों में जूठे बर्तन उठाने से लेकर, खाना परोसने तक का काम किया। इसके साथ ही मैंने मकानों के लिए नीव के गड्ढे खोदे, मेरी मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं उन्हें हर महीने 425 रुपए वेतन मिलता था। घर का खर्चा चलना मुश्किल होता था, इसलिए परिवार का खर्च चलाने के लिए मुझे काम करना पड़ता था।"

दो बार लगी CRPF में नौकरी

महापौर विक्रम ने बताया कि, "मेरी CRPF में दो बार नौकरी लग चुकी थी और एक बार पुलिस में, लेकिन मैंने समाज सेवा करने का फैसला लिया। मैं CRPF की नौकरी का ज्वाइनिंग लेटर लेकर कमलनाथ के पास पहुंचा। इस दौरान मैंने उनसे कहा कि मैं आपके साथ जुड़कर समाज सेवा करना चाहता हूं, जिसके बाद मैंने राजनीति में आ गया।"

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