भोपालः देश की राजनीति में इस साल के अंत में होने वाला मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव भूचाल लाने वाला है। हमेशा की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। लेकिन एक मजबूत क्षेत्रीय राजनीतिक संगठन के अभाव में कुछ अन्य दल अपने क्षेत्रों का विस्तार करने का प्रयास करेंगे। पिछले साल ‘कोयला नगरी’ सिंगरौली में मेयर का पद जीतकर शानदार एंट्री करने वाली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) इस साल पहली बार मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
जनवरी में ‘AAP’ ने राज्य की कार्यकारिणी को भंग कर दिया और दो महीने बाद सिंगरौली मेयर का चुनाव रानी अग्रवाल ने जीत लिया। पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी पदोन्नत किया। मार्च में राज्य का दौरा करने के दौरान केजरीवाल ने सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले की घोषणा की थी। उन्होंने अपनी घोषणा में राज्य में सत्ता में आने पर मुफ्त बिजली, स्वास्थ्य-शिक्षा और सेवा के लिए ‘दिल्ली मॉडल’ की अवधारणा का हवाला दिया।
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आप ने अभी सीएम उम्मीदवार की नहीं की घोषणा
AAP ने अभी तक अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों ने दावा किया है कि वह भाजपा और कांग्रेस दोनों के कुछ शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत कर रही है। यह भी खबर सामने आ रही है कि कई नेता भाजपा और कांग्रेस से दूर हो गए हैं और राजनीति में आगे बढ़ने के लिए ‘आप’ में जगह पाने की जुगत में हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि आप विभिन्न कारणों से मध्य प्रदेश में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाएगी, लेकिन यह भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए खेल बिगाड़ सकती है।
मध्य प्रदेश में आप क्यों सफल नहीं होगी, राज्य आधारित राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा। पहला, क्योंकि उसके कार्यकर्ता जनता के मुद्दों के लिए सड़कों पर नहीं लड़ रहे थे। दूसरा, क्योंकि इसके मुफ्त उपहारों की अवधारणा पहले से ही कांग्रेस और भाजपा द्वारा अपनाई जा रही है। तीसरा कारण यह है कि दिल्ली में उसके मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले ने आप को झकझोर कर रख दिया है। अगर इसका असर होता भी है तो सिर्फ उन उम्मीदवारों की वजह से होगा जिन्होंने अपनी खास सीटों पर अपना जनाधार बना लिया है, या तो उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के चलते या बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच अंदरूनी लड़ाई के चलते।
बसपा-सपा के लिए कठिन राह
इस बीच, उत्तर प्रदेश स्थित बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) काफी समर्थन आधार खोने के बाद भी चुनाव लड़ेंगी। जहां सपा के एकमात्र मौजूदा विधायक राजेश शुक्ला (बिजावर) पिछले साल जनवरी में राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए, वहीं बसपा के मौजूदा विधायक संजीव कुशवाहा भी भगवा पार्टी में शामिल हो गए। रीवा की मनगवां सीट से हाल ही में बसपा की पूर्व विधायक शीला त्यागी कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चरशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भी मध्य प्रदेश में विस्तार करना शुरू कर दिया है और हाल ही में दो प्रमुख चेहरों बुद्धसेन पटेल और व्यापम के व्हिसलब्लोअर आनंद राय को पार्टी में शामिल किया है। सूत्रों की मान तो बीआरएस जल्द ही महाराष्ट्र की तर्ज पर सभी छह जोन में अपना कार्यालय स्थापित करने की योजना बना रहा है।
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