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काशी में विराजीं मां अन्नपूर्णा, यजमान बने सीएम योगी ने विधि-विधान से की प्राण-प्रतिष्ठा

वाराणसीः सौ साल से भी अधिक वर्ष पूर्व काशी से घाट से चोरी हुयी देवी अन्नपूर्णा की दुर्लभ मूर्ति आखिरकार सोमवार को काशी विश्वनाथ दरबार के आंगन में विधिवत विराजित हो गईं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं पूरे विधि-विधान से प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की। मंदिर के 11 सदस्यीय अर्चक दल ने श्री काशी विद्वत परिषद की निगरानी में संपूर्ण पूजन और कर्मकांड सम्पन्न कराया। यजमान बने मुख्यमंत्री ने पूरे उत्साह के साथ इसमें भी भागीदारी की। देवी की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा के बाद महाभोग अर्पित कर महाआरती की गई। काशी पुराधिपति और देवी के जयकारे के बीच प्रसाद वितरित किया गया।

इस दौरान पूरा मंदिर क्षेत्र देवी मय दिखा। देवी की मूर्ति स्थापना का प्रसाद वितरण सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में भी होगा। इसके पहले काशी पुराधिपति की रंगभरी एकादशी की पालकी यात्रा की रजत पालकी और सिंहासन माता के स्वागत के लिए भेजा गया। मां ज्ञानवापी के प्रवेश द्वार से इसी रजतइ पालकी के सिंहासन पर विराजमान होकर देवी प्रतिमा को मंदिर परिसर में लाया गया। इसके पहले दुर्गाकुंड स्थित कुष्मांडा मंदिर से देवी प्रतिमा की शोभा-यात्रा नगर भ्रमण पर निकली। 108 साल बाद कनाडा से लायी गयी प्रतिमा पर जगह-जगह पुष्पवर्षा कर आरती उतारी गई।

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चेतमणि गुरुधाम चौराहे पर अग्रवाल महासभा चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष कुमार अग्रवाल ने परिवार के साथ माता की आरती की और चांदी का मुकुट, सोने का हार एवं कंगन मूर्ति पर अर्पित किया। नगर भ्रमण के दौरान शोभा-यात्रा के मार्ग पर हर-हर महादेव का जयघोष गूंजता रहा। देवी प्रतिमा के दर्शन के लिए लोगोें की भीड़ उमड़ती रही। दुर्गाकुंड मंदिर से माता की प्रतिमा गुरुधाम चौराहा, विजया मॉल, मदनपुरा, गोदौलिया होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर चार पर पहुंची। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां देवी प्रतिमा की आरती उतारकर अगवानी की।

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