मुक्ति का द्वार प्रशस्त करती है मोक्ष प्रदायिनी एकादशी, पूजन के साथ अवश्य सुनें यह व्रत कथा

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नई दिल्लीः साल के 12 महीनों में 24 एकादशी तिथि आती हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु का व्रत एवं आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि की आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया है। इसीलिए आज के दिन ही गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्ष प्रदायिनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि की आराधना से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है। मोक्षदा एकादशी के दिन भक्त को पूजन के साथ इस व्रत कथा को अवश्य ही सुनना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा
बहुत समय पहले गोकुल में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे। राजा वैखानस ने एक रात स्वप्न में देखा कि उनके पिता को मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। इस स्वप्न को देख राजा वैखानस को बहुत दुख हुआ और उन्होंने प्रातःकाल ही अपने राज पुरोहित को बुलाया और उन्हें स्वप्न के बारे में बताया। साथ ही पिता को नरक की यातनाओं से मुक्त कराने का मार्ग भी पूछा। इस पर राज पुरोहित ने कहा कि इस समस्या का निराकरण पर्वत नाम के महात्मा ही कर सकते है। उन्होंने बताया कि महात्मा पर्वत त्रिकालदर्शी हैं। राज पुरोहित की बातें सुनकर राजा वैखानस तुरंत महात्मा पर्वत के आश्रम पहुंचे और उन्होंने अपने मन की सारी बातें बता दी।

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राजा वैखानस की बातें सुनकर महात्मा पर्वत ने कहा कि उनके पिता ने पूर्व जन्म में एक पाप किया था जिसके चलते उन्हें नरक की यातनाएं झेलनी पड़ रही है। इस पर राजा ने उनके मुक्ति का मार्ग पूछा तो महात्मा ने कहा कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यदि आप मोक्षदा एकादशी का विधिपूर्वक व्रत और पूजन करेंगे तो इस व्रत के पुण्य से आपके पिता को अवश्य ही मुक्ति मिल जाएगी। महात्मा पर्वत की बातें सुनकर राजा वैखानस ने मोक्षदा एकादशी का व्रत एवं पूजन किया। राजा वैखानस की व्रत एवं पूजन के पुण्य के प्रभाव से उनके पिता को मुक्ति मिल गयी और उनके पिता की तृप्त आत्मा ने उन्हें आशीर्वाद भी दिया। इसीलिए सभी पापों से मुक्ति होने के लिए मोक्षदा एकादशी का व्रत अवश्य ही करना चाहिए।

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