कोलकाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ का कार्य महात्मा बुद्ध के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों के समान है। जिस प्रकार महात्मा बुद्ध ने समाज को एकजुट कर आध्यात्मिक और नैतिक उत्थान की नींव रखी थी, उसी प्रकार संघ भी संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करने का काम कर रहा है। वे शनिवार को पश्चिम बंगाल के बर्दवान में स्वयंसेवकों के एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
भारत का स्वभाव इसे बनाता है अलगः RSS प्रमुख
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ संपूर्ण हिंदू समाज को एकजुट करना चाहता है। यह समाज न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए जिम्मेदार है। भारत का अपना एक स्वभाव है, जो इसे विशेष बनाता है। जो लोग इस स्वभाव के साथ नहीं रह सके, उन्होंने अपना अलग देश बना लिया। लेकिन जो यहां रह गए, वे भारत की इस मूल आत्मा से जुड़े हुए हैं। भारत केवल भूगोल नहीं, बल्कि एक प्रकृति है, जो 15 अगस्त 1947 से बहुत पहले से अस्तित्व में थी। हम किसी राजा को नहीं, बल्कि उस राजा को याद करते हैं, जिसने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 साल का वनवास झेला।
जब तक यह स्वभाव रहेगा, भारत रहेगा। हिंदू समाज और भारत एक हैं। उन्होंने कहा कि भारत का निर्माण किसी बाहरी ताकत ने नहीं किया, बल्कि यह हजारों सालों से एक मजबूत राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में है। महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि गांधी जी ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि अंग्रेजों ने हमसे कहा कि उन्होंने भारत का निर्माण किया है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। भारत सदियों से अस्तित्व में है, विविधताओं वाला, लेकिन एकजुट है। सरसंघचालक ने स्पष्ट किया कि संघ के प्रति कई लोगों के मन में गलतफहमियां हैं, लेकिन वास्तव में संघ समाज को संगठित करने का ही काम कर रहा है। हमारी 70 हजार से ज्यादा शाखाएं हैं। हम इन्हें आगे बढ़ा रहे हैं, ताकि समाज और राष्ट्र को लाभ मिले।
भारत को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं विदेशी ताकतें
भारत पर विदेशी आक्रमणों का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सिकंदर के समय से ही विदेशी ताकतें भारत को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं। मुट्ठी भर लोग आते हैं, वे हमसे बेहतर नहीं होते, लेकिन वे हम पर राज करते हैं। इसका कारण आपसी फूट और विश्वासघात है। यह इतिहास बार-बार दोहराया गया है और अब इसे रोकना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल पूरे होने वाले हैं। संघ का उद्देश्य केवल अपने स्वयंसेवकों को संगठित करना नहीं है, बल्कि पूरे हिंदू समाज को एकजुट करना है। हम यह काम किसी पुरस्कार या प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि भारत के उत्थान में योगदान देने के लिए कर रहे हैं।
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संघ के स्वयंसेवक बिना किसी स्वार्थ के काम करते हैं और यह उनके संस्कारों और विचारों का परिणाम है। हमारा काम समाज को संगठित करना और राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है। भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ की शाखाएं लगातार बढ़ रही हैं और बंगाल में भी उनका विस्तार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि बंगाल हमेशा से भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र रहा है और यहां हिंदू समाज को संगठित करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उल्लेखनीय है कि बंगाल पुलिस ने भागवत की रैली को अनुमति देने से इनकार कर दिया था, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय की मंजूरी के बाद यह आयोजन संभव हो सका।
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