नई दिल्लीः लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि वह अपने मित्र की उपस्थिति को याद कर रहे हैं । साथ ही, उन्होंने हाशिये पर पड़े लोगों की सेवा में राम विलास पासवान के योगदान को याद किया। पासवान का पिछले साल 8 अक्टूबर को निधन हो गया था। वह सबसे बड़े दलित नेताओं में से एक थे और उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र हाजीपुर को कई वर्षों तक सबसे अधिक अंतर से जीतने का रिकॉर्ड बनाए रखा।
एक ट्वीट में, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मेरे मित्र रामविलास पासवान जी की जयंती है। मुझे उनकी उपस्थिति की बहुत याद आती है। वह भारत के सबसे अनुभवी सांसदों और प्रशासकों में से एक थे। सार्वजनिक सेवा और दलितों को सशक्त बनाने में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
पासवान वी.पी. सिंह सरकार में मंत्री थे और वह मंडल आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन में एक प्रमुख चैंपियन के रूप में उभरे। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार, मनमोहन सिंह सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार में भी मंत्री रहे। पासवान के लिए मोदी का स्नेह ऐसे समय में देखा जा रहा है, जब चिराग ने पहले भाजपा के साथ उनके पक्ष में नहीं खड़े होने पर निराशा व्यक्त की थी।
लोजपा नेता चिराग ने कहा था कि वह भाजपा की चुप्पी पर ‘आहत’ हैं। चिराग पार्टी पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए अपने चाचा पशुपति कुमार पारस से लड़ाई लड़ रहे हैं। राम विलास पासवान की विरासत के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है, जोकि चिराग और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच चल रही है। पशुपति पारस को पार्टी के छह सांसदों में से पांच ने लोकसभा में लोजपा के नेता के रूप में चुना है।
दोनों गुट अब पार्टी को नियंत्रित करने और अपने समूह को पासवान द्वारा स्थापित असली लोजपा के रूप में पेश करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। चिराग के नेतृत्व वाली विंग ने जहां पांच सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है, वहीं प्रतिद्वंद्वी समूह ने उन्हें अपने अध्यक्ष पद से हटा दिया है।
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पिछले रविवार को लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चिराग के नेतृत्व का समर्थन किया गया और पार्टी के संविधान के खिलाफ काम करने के लिए उनके चाचा के नेतृत्व वाले गुट पर निशाना साधा गया। इस बीच चिराग ने पासवान की जयंती के अवसर पर बिहार की जनता का आशीर्वाद लेने के लिए ‘आशीर्वाद यात्रा’ निकाली है।