नई दिल्ली: पीएम मोदी (PM Modi) की अगुवाई में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हुई। इस दौरान कई बड़े फैसले लिए गए हैं। केंद्र सरकार ने कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 315 रुपये की बढ़ोतरी की है, जिससे यह विपणन सत्र 2025-26 के लिए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
NHM को अगले 5 सालों तक जारी रखने की मंजूरी
इसके अलावा केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) को पांच साल तक जारी रखने को मंजूरी दे दी है। पीयूष गोयल ने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को अगले पांच वर्षों तक जारी रखने का लिया गया। पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में जो ऐतिहासिक लक्ष्य हासिल किए गए हैं, 2021-22 में लगभग 12 लाख स्वास्थ्य कर्मचारी एनएचएम से जुड़े हैं।
5,650 रुपये प्रति क्विंटल MSP को मिली मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी साझा करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज कैबिनेट में दो अहम फैसले लिए गए हैं। पहला कच्चे जूट के एमएसपी को लेकर है। कैबिनेट ने कच्चे जूट के लिए (विपणन सत्र 2025-26 के लिए) 5,650 रुपये प्रति क्विंटल MSP को मंजूरी दी है। पीयूष गोयल ने आगे कहा कि मोदी सरकार CACP की सिफारिशों के आधार पर लगातार MSP बढ़ा रही है। जब से MSP को 50 प्रतिशत से अधिक तय करने का फैसला लिया गया है, तब से इसका विधिवत पालन किया जा रहा है।
इसके आधार पर 2025-26 सीजन के लिए कच्चे जूट के MSP में करीब 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। भारत में जूट के कम उत्पादन पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “उत्पादन पर फैसला किसानों के अपने हितों के आधार पर होगा। जूट का उत्पादन कई तरह की परिस्थितियों पर आधारित है और इसे एक टिकाऊ उत्पाद के रूप में स्वीकृति मिल रही है। हमने किसानों को जूट उत्पादन के लिए लगातार प्रोत्साहित किया है और हम MSP पर खरीद का आश्वासन देते हैं।
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पिछले साल 285 रुपये की हुई थी बढ़ोतरी
हालांकि, जूट का उत्पादन और उत्पादन किसानों की अपनी रुचि पर निर्भर करेगा कि उन्हें कौन सा उत्पाद सबसे अच्छा मूल्य देता है।” इस साल एमएसपी में की गई बढ़ोतरी 2024-25 सीजन से भी ज्यादा है, जिसका उद्देश्य भारत में जूट उत्पादन को बढ़ावा देना है। पिछले साल कच्चे जूट के एमएसपी में 285 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी, जो 2024-25 सीजन के लिए 5,335 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था।
40 लाख किसान परिवारों की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर है। जूट मिलों और जूट व्यापार में लगभग 4 लाख श्रमिकों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। पिछले साल 1 लाख 70 हजार किसानों से जूट खरीदा गया था। 82% जूट किसान पश्चिम बंगाल से हैं जबकि शेष असम और बिहार की जूट उत्पादन में 9-9% हिस्सेदारी है।
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