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पर्यावरण के लिए संजीवनी बनी ‘मियावाकी तकनीक’, कम जगह और कम समय में उगाए जा सकते हैं घने जंगल

miyawaki-technique लखनऊः वैज्ञानिकों के पास धरती के बढ़ते तापमान को कम करने के उपाय अभी तक नहीं हैं। पिछले कई सालों से देखा जा रहा है कि धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में जीवन के लिए संकट बढ़ रहा है। यदि कोई विकल्प है तो वह पर्यावरणविदों के पास है। उनके एक रिसर्च ने बता दिया कि दुनिया को ठंडा रखने के लिए जंगल उगाने होंगे। घने जंगल से पृथ्वी का ज्यादा हिस्सा ढक जाएगा। तमाम प्रयासों के बाद जो सफलता मिली है, उसमें अब ऐसे जंगल उगाए जाने लगे हैं, जो काफी कम जगह लेते हैं। लखनऊ के अलीगंज और अमौसी में भी प्रकृति की रक्षा के लिए नई तकनीकी मिसाल (Miyawaki technique) के रूप में पेश किए गए हैं। पिछले कुछ सालों में देखा गया कि जलवायु परिवर्तन के खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं। कहीं सूखा पड़ रहा है, तो कहीं बाढ़ के कारण लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच जाते हैं। इन तमाम विषम परिस्थितियों से बचना है तो पर्यावरण के लिए कुछ करना होगा। यह सामान्य प्रक्रिया हो सकती है। इसमें मनुष्य को पेड़-पौधे लगाने चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग पर सीधा लाभकारी प्रभाव कोरोनाकाल के दौरान का है। पर्यावरणविद मानते हैं कि पेड़-पौधे हमारे लिए काफी कुछ कर सकते हैं। यदि हमें एक लाख करोड़ (एक ट्रिलियन) पेड़ लगाने हैं तो इसके लिए हमें जापान से निकली जंगल उगाने की तकनीकी ’मियावाकी’ को अपनाना होगा। ये भी पढ़ें..Weather update: उत्तराखंड के 7 जिलों में होगी भारी बारिश ! IMD ने जारी किया येलो अलर्ट

वन निगम भी कर रहा बराबर सहयोग

जापान के बॉटेनिस्ट अकीरा ने इस तकनीक (Miyawaki technique) को विकसित किया था। इसकी मदद से बहुत कम और बंजर जमीन में भी तीन तरह के पौधे जैसे- झाड़ीनुमा, मध्यम आकार और छांव देने वाले पौधे उगाए जा सकते हैं। नगर निगम लखनऊ ने देश के कई अन्य निगमों की तर्ज पर इस विशेष तकनीकी के लाभ अपनाने के लिए काम शुरू कर दिया है। इस काम में वन निगम भी बराबर सहयोग कर रहा है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि सरकार की तमाम योजनाएं आती जाती रहती हैं लेकिन ग्लोबल कंडीशन को नियंत्रित रखने के लिए पेड़ लगाने ही होंगे। इसमें मियावाकी तकनीक काफी मददगार है। यह इतनी आसान है कि आप बगीचे या आस-पास की खुली जगह में भी इसे तैयार कर सकते हैं। कान्हा उपवन संभाल रहे डाॅ. यतीन्द्र सिंह कहते हैं कि यद्यपि लखनऊ बहुत बड़ा शहर है। इसमें हजारों पेड़ भी कम हैं लेकिन यह खुशी की बात है कि जंगल उगाने के प्रयास यहां भी किए जा रहे हैं। सैकड़ों पेड़ कान्हा उपवन में भी तैयार किए जा रहे हैं। यह कम जगह में काफी घने बसे हैं। इससे धरती पर तापमान का तीव्र असर नहीं पहुंच पाता है। नगर निगम अपनी जमीन पर जिस तरह के पेड़ लगाने के प्रयास कर रहा है, वह पर्यावरण की फिक्र करने वालों को खूब पसंद आ रहा है। मियावाकी ऐसी तकनीकी है, जिसमें जंगल उगाने के तरीकों को बांट दिया जाता है। पहला तरीके में किसी बड़े भू-भाग में इसे विकसित किया जाता है। यह परखना जरूरी रहता है कि जिस जमीन में पौधे लगाए जा रहे हैं, वह वहां की आबोहवा के अनुकूल हो। पौधे की प्रकृति इलाकाई होनी चाहिए। पौधे लगाने के लिए पहले क्षेत्र के पौधों से तैयार बीज को नर्सरी में उगाएं।

पौधों की किस्म जानकार करें शुरूआत

वन निगम के जनरल मैनेजर सुजोय बनर्जी कहते हैं कि इस तकनीकी के लिए आप झाड़ीनुमा पौधे के साथ मध्यम आकार के पेड़ लगाएं। इनको धूप से बचाने के लिए बड़े पेड़ लगाएं। इस तरीके से सभी पौधों को एक-दूसरे से मदद मिलती है। जमीन में धूप कम पहुंचेगी और नमी बनी रहेगी। यदि पेड़ के नीचे घास या खर-पतवार है तो इसे साफ करने की जरूरत नहीं है। कभी-कभी जमीन सूखने पर इसमें पानी डालते रहें। इस तकनीकी (Miyawaki technique) से तैयार पौधों पर मौसम बेअसर रहता है। कम जमीन में ज्यादा पौधे भी लगाए जा सकते हैं। कान्हा उपवन में कर्मियों ने जो मियावाकी तैयार किया है, वह काफी घना है। तीन साल में ही यह इस स्थिति में हैं कि इनकी ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ रही है। यह ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन देता है और कम जगह में तैयार हो जाता है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)