कोलकाता: पश्चिम बंगाल में टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती में करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े की चल रही जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को राज्य में विभिन्न नगर पालिकाओं में कर्मचारियों की भर्ती में एक जैसी अनियमितता के संकेत मिले हैं।
शिक्षकों की भर्ती घोटाले के सिलसिले में एक निजी प्रमोटर अयान शील के आवास पर 40 घंटे की मैराथन छापेमारी के दौरान केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा जब्त किए गए ये महत्वपूर्ण सुराग हैं। अयान को सोमवार तड़के गिरफ्तार किया गया। सूत्रों ने बताया कि इस छापेमारी और तलाशी अभियान के दौरान जांच अधिकारियों ने राज्य में विभिन्न नगर पालिकाओं में विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापनों की प्रतियों से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इस संबंध में नियुक्ति पत्र की कुछ प्रतियां भी बरामद की हैं।
इन बरामदगी से ईडी को विश्वास हो गया है कि जिस तरह सरकारी स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में जबरन वसूली की गई थी, उसी तरह नगरपालिकाओं की भर्ती में भी भ्रष्टाचार किया गया था। सूत्रों ने कहा कि ये दस्तावेज अयान शील के निजी कंप्यूटर की हार्ड डिस्क से उसके आवास पर बरामद किए गए थे। ईडी के एक सहयोगी ने कहा कि जांच वास्तव में एक चक्रव्यूह में बदल रही है, जहां एक विशेष क्षेत्र में जांच प्रक्रिया दूसरे क्षेत्र में इसी तरह के घोटालों की ओर ले जा रही है। मामले की जानकारी आला अधिकारियों को दे दी गई है और अब वे ही इस संबंध में आगे की कार्रवाई तय करेंगे।
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केंद्रीय एजेंसी की दिलचस्पी इस बात में है कि पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा आयोजित लिखित परीक्षाओं के लिए ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज और साथ ही राज्य में विभिन्न नगर पालिकाओं से नियुक्ति पत्र आवास पर कैसे पहुंचे। ईडी के अधिकारियों का मानना है कि यह तब तक संभव नहीं हो सकता था जब तक कि गिरफ्तार प्रमोटरों के डब्ल्यूबीएसएससी के साथ-साथ इन नगर पालिकाओं के अंदरूनी लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध न हों।
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