कांग्रेस की चुनावी रणनीति की बैठक में अल्पसंख्यक और दलित नेता नदारद, बड़ी चूक का इशारा !

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भोपालः मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं और इसी क्रम में बीते रोज पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के निवास पर वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति वर्ग के नेता की गैर हाजिरी चर्चा का विषय बनी हुई है।

बीते दिनों प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के साथ बैठक हुई थी। इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव की सोनिया गांधी से मुलाकात हुई थी। इन बैठकों के बाद कमल नाथ के निवास पर भोपाल में प्रमुख नेताओं का डिनर आयोजित किया। इस बैठक में कमलनाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह मौजूद रहे।

वरिष्ठ नेताओं की इस बैठक में अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति वर्ग का एक भी नेता नहीं था। ऐसा नहीं है कि यह इस वर्ग के नेताओं की कमी है, वर्तमान में अल्पसंख्यक वर्ग के आरिफ अकील और आरिफ मसूद विधायक हैं तो वहीं अनुसूचित जाति वर्ग से नेताओं की लंबी लिस्ट है।

कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक है अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति वर्ग। इन दोनों ही वर्ग के नेताओं का चुनावी राजनीति की बैठक में मौजूद न होना पार्टी की किसी बड़ी चूक की तरफ इशारा भी कर रहा है। भाजपा की ओर से तंज कसा जा रहा है। भाजपा के प्रवक्ता डॉ. हितेष वाजपेई का कहना है कांग्रेस के पास अनुसूचित जाति वर्ग के लिए कोई नीति और नियत नहीं है और अब उनके पास नेता भी नहीं बचे हैं, क्योंकि विधायक कांग्रेस छोड़ छोड़कर जा रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र शिवाजी पटेल का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ दलित और अल्पसंख्यकों को वोट के लिए आगे करती है, बाकि इन वर्गों को न तो उनके यहां प्रतिनिधित्व है और न ही उन्हें महत्व दिया जाता है। यह सच्चाई कांग्रेस की बैठक से भी सामने आ गई है।

कांग्रेस का कोई भी नेता इस मसले पर खुलकर बात करने को तैयार नहीं है, हांलाकि एक नेता ने अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति वर्ग के नेता की बैठक में गैर हाजिरी को उचित नहीं माना, साथ ही उन्होंने कहा कि यह बैठक पूर्व अध्यक्ष और पूर्व नेता प्रतिपक्ष की बुलाई गई थी।

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कांग्रेस के अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े नेता का कहना है कि पार्टी की बैठकों में जब किसी वर्ग के नेताओं को नहीं बुलाया जाता है तो इसका संदेश अच्छा नहीं जाता, कल जो बैठक हुई वह भले ही वरिष्ठ नेताओं की रही हो, मगर इसमें अनुसूचित जाति वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के प्रतिनिधि के तौर पर नेता को बुलाया ही जाना चाहिए था, क्योंकि यह दोनों पर कांग्रेस के बड़े वोट बैंक जो हैं।

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