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नाबालिग गाड़ी चलाता मिला तो अभिभावक हो जाएं सजा को तैयार, चलेगा अभियान

लखनऊः राजधानी लखनऊ में, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों यानी की नाबालिग को मोटरसाइकिल या कार चलाने की अनुमति नहीं है। यदि कोई माता-पिता अपने बच्चे को गाड़ी चलाने के लिए देते हैं, तो उन्हें 3 साल की सजा हो सकती है। इसके साथ ही यह भी संभव है कि हो सकता है सिर्फ सजा ही नहीं उन्हें 25 हजार का भारी भरकम जुर्माना भी भरना पड़े। अभिभावकों के गाड़ी का लाइसेंस भी एक साल के लिए सस्पेंड किया जा सकता है।

पकड़े गए बच्चों का डीएल 25 की उम्र में बनेगा

जो बच्चे वाहन चलाते पकड़े गए, उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए सात साल ज्यादा इंतजार करना होगा यानी उनका ड्राइविंग लाइसेंस भी 25 साल की उम्र के बाद ही बनेगा। आदेश उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से दिए गए निर्देश के बाद जारी किया गया है। गाड़ी चलाते हुए पकड़े गए बच्चों को अपना ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए 25 साल का होने तक इंतजार करना होगा। यह नियम इसलिए बनाया गया क्योंकि उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि बच्चों को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है। अभियान सात जनवरी तक चलेगा।

एक से सात जनवरी तक चलेगा अभियान

अब यूपी में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे कार या मोटरसाइकिल नहीं चला सकेंगे। सरकार का मानना है कि सड़कों पर सभी को सुरक्षित रखने के लिए इस नियम का गंभीरता से पालन करवाना अति आवश्यक है। शिक्षा विभाग चाहता है कि स्कूल को बच्चों को ट्रैफिक नियमों से अवगत कराया जाए और वे स्कूली बच्चों को यह सिखाएं कि पैदल चलते या बाइक चलाते समय खुद को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। यह नियम 1 जनवरी से 7 जनवरी तक लागू रहेगा। सभी विद्यालय के प्रधानाचार्य साल में दो बार बैठक करके यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी स्कूल बसें सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित हो। बीच-बीच में विद्यालयों में होने वाली बैठकों अभिभावकों को मोटर वाहन अधिनियम के विषय में जानकारी दी जानी चाहिए। यह भी पढ़ेंः-UPSRTC की तैयारीः राममय होंगी रोडवेज बसें, बजेंगे रामलला के भजन जिले के प्रत्येक विद्यालय में सड़क सुरक्षा क्लब के अलावा एक सड़क सुरक्षा नोडल शिक्षक की नियुक्त होना चाहिए। इसके अलावा प्रत्येक कक्षा में एक छात्र को सड़क सुरक्षा कप्तान चुना जाना चाहिए। इसकी जिम्मेदारी सड़क पार करते समय सभी को सुरक्षित रखने में मदद करनी होगी। हर सप्ताह, सड़क पर सुरक्षित रहने का संकल्प लेने के लिए समय निकालेंगे। विद्यालयों में शिक्षक, छात्र-छात्राओं, अभिभावकों को प्रभारी शिक्षक शिक्षा विभाग एवं परिवहन विभाग के मार्गदर्शन में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान, लखनऊ (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)