मंत्री नन्दी ने कहा- स्वास्तिक के आकार में बनेगा नया भवन, लगाई जाएंगी इम्पोर्टेड मशीनें

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने जब से उद्योग विभाग का कार्यभार संभाला है, तब से राजकीय मुद्रणालय का आधुनिकीकरण और विभिन्न विभागों की अधिक से अधिक सरकारी सामग्रियों का राजकीय मुद्रणालय में मुद्रण कराना उनकी प्राथमिकता रही है। इसे जमीन पर उतारते हुए लखनऊ के ऐशबाग स्थित सरकारी प्रेस को आधुनिक बनाने की योजना बनाई गई है, जिस पर लगभग 250 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आज पिकप भवन सभागार में मंत्री नन्दी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में राजकीय मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग के अधिकारियों ने राजकीय मुद्रणालय, लखनऊ के आधुनिकीकरण पर प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किया, जिसे मंत्री नन्दी ने मंत्रिपरिषद को भेजने के निर्देश दिये।

मंत्री नंदी ने पिकअप भवन सभागार में मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग के कार्यों एवं आधुनिकीकरण योजना की गहन समीक्षा की। जिसमें अधिकारियों ने मंत्री नंदी को बताया कि सरकारी मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग की वेबसाइट अपडेट हो गयी है, जिसमें विभाग से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध है। कच्चे माल की सूची आदि के डिजिटलीकरण की जिम्मेदारी यूपीडेस्को को सौंपी गई है, जो जल्द ही काम शुरू कर देगी। अधिकारियों ने बताया कि विभाग में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है। कार्मिक एवं वित्त विभाग की सहमति के बाद प्रस्ताव मंत्रिपरिषद को भेजा जायेगा।

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अधिकारियों ने बताया कि राजकीय मुद्रणालय, ऐशबाग, लखनऊ में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा परिषद से संबंधित सादी उत्तर पुस्तिकाएं, विभागीय परीक्षाओं से संबंधित उत्तर पुस्तिकाएं, आयुष विभाग की होम्योपैथिक परीक्षा से संबंधित सभी उत्तर पुस्तिकाएं। 15 जिलों से संबंधित विभिन्न विभागों, पुलिस, राजस्व, चकबंदी, भूलेख, कृषि आदि से संबंधित समस्त प्रपत्रों का मुद्रण कार्य और उत्तर प्रदेश विधान सभा, विधान परिषद के सत्र से संबंधित एजेंडा, विधानमंडल एवं अन्य मुद्रित सामग्रियों का मुद्रण कार्य, से संबंधित मुद्रण कार्य राजभवन सचिवालय, राज्यपाल के लेटर हेड आदि का मुद्रण कार्य, भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग के चुनावों से संबंधित मतपत्रों, प्रपत्रों एवं स्टेशनरी आदि का मुद्रण कार्य, उत्तर प्रदेश सचिवालय से संबंधित कार्य किये जाते हैं, लेकिन कम क्षमता से सभी विभागों की आवश्यकताएं निर्धारित होती हैं। ये समय पर पूरे नहीं हो पाते, जिससे विभागों को सरकारी प्रेस के अलावा बाहर से छपाई करानी पड़ती है।

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