Home उत्तर प्रदेश नकल का नया हथियार बना माइक्रो ब्लूटूथ डिवाइस

नकल का नया हथियार बना माइक्रो ब्लूटूथ डिवाइस

Micro bluetooth device became the new weapon of imitation

लखनऊः यूपी में नकल माफिया अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए अब नई-नई तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन एसटीएफ उनकी हर चाल को नाकाम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। गत सप्ताह 26-27 जून को प्रदेश में हुई परीक्षा के दौरान एसटीएफ ने 10 जिलों में 28 साल्वर समेत दो अभ्यर्थियों और एक दलाल को दबोचने में सफलता हासिल की।

दरअसल, यूपीएसएसएससी की ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक की परीक्षा दिनांक 26-27 जून को 20 जिलों के कुल 737 केंद्रों पर आयोजित हुई थी। लाखों की संख्या में छात्र-छात्राएं बेहतर भविष्य की कामना लिए इन परीक्षाओं में परीक्षा दे रहे थे। इसी दौरान एसटीएफ ने यूपीएसएसएससी की ओर से बीडीओ और ग्राम पंचायत अधिकारी के 1,953 पदों पर पुनर्परीक्षा के दूसरे दिन 10 जिलों में 28 साल्वर समेत दो अभ्यर्थियों समेत एक दलाल को गिरफ्तार किया।

परीक्षा के दो दिनों में एसटीएफ ने कुल 45 जालसाजों को जेल की सलाखां के पीछे भेजा। सभी साल्वर माइक्रो ब्लूटूथ डिवाइस की मदद से नकल करवा रहे थे। लखनऊ में पकड़े गए सॉल्वर में से एक लेखपाल था। आजमगढ़ में तैनात लेखपाल कमलेश यादव कान में ब्लूटूथ डिवाइस लगाकर परीक्षा दे रहा था। उसको गोमतीनगर विस्तार के एक परीक्षा केंद्र से पकड़ा गया। एक चिमटी की मदद से उसके कान के अंदर से ब्लूटूथ डिवाइस को निकाला गया।

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इसके अलावा, राजधानी के मदेयगंज के एक केंद्र पर सॉल्वर आजमगढ़ निवासी राहुल को एग्जाम देते पकड़ा गया। गाजीपुर के परीक्षा केंद्र सरस्वती बालिया इंटर कॉलेज से आजमगढ़ निवासी मनोज समेत दो को पकड़ा गया। लखनऊ से दूसरे दिन कुल 08 लोगों को गिरफ्तार किया गया। गोरखपुर में एसटीएफ ने नीना थापा इंटर कॉलेज के पास से अंबेडकरनगर में रहने वाले रितेश त्रिपाठी व दीपांशु वर्मा को नकल कराते दबोचा। कानपुर के नौबस्ता स्थित परीक्षा केन्द्र एलवीएम इंटर कॉलेज से एसटीएफ ने सॉल्वर जौनपुर निवासी सत्यम तिवारी को भी माइक्रो ब्लूटूथ के साथ गिरफ्तार किया।

ब्लूटूथ डिवाइस छोटी होने के कारण मुफीद

लेखपाल परीक्षा गैंग ने माइक्रो ब्लूटूथ डिवाइस का प्रयोग बड़े ही शातिर तरीके से किया था। यह डिवाइस इतनी छोटी थी कि इसे कान के भीतर सेट कर दिया गया था। ऊपर से दिखाई न देने की वजह से अभ्यर्थी आसानी से परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर गया। एसटीएफ के मुताबिक, लेखपाल ने जिन-जिन अभ्यर्थियों से डील की थी, उनसे एडवांस रकम लेकर ये डिवाइस उपलब्ध कराई थी। इस डिवाइस को कैसे उपयोग किया जाना है, इसका बकायदा प्रषिक्षण दिया गया था। किस तरह से डिवाइस एक्टिव होगी और कैसे उसका इस्तेमाल करना है। एसटीएफ उनके बारे में भी जानकारी निकालने की कोशिश कर रही है, जिन्होंने लेखपाल को ये डिवाइस बेची। एसटीएफ ने बताया कि साल्वर गैंग के सरगना अभ्यर्थियों से लाखों की डील करते हैं। मिली जानकारी के अनुसार, बीडीओ पद के लिए 15 लाख तक की डील हुई। साल्वर को परीक्षा पास कराने के लिए 20 से 50 हजार रूपए ही दिए जाते हैं। साल्वर को परीक्षा से पहले दस हजार और बाद में बाकी रकम दी जाती है।

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