Tuesday, December 24, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeफीचर्डकर्तव्य पथ का संदेश

कर्तव्य पथ का संदेश

आत्मनिर्भर भारत अभियान केवल अर्थिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसमें भारतीय विरासत पर गर्व करने का विचार भी शामिल है। वर्तमान सरकार इस दिशा में भी नए अध्याय जोड़ रही है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौसेना के नए ध्वज का लोकार्पण किया था। इससे क्रास को हटा दिया गया। इसकी जगह छत्रपति शिवाजी की राज मुद्रा को अंकित किया गया। इसके पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी नौसेना के ध्वज में सुधार किया था। यह बदलाव यूपीए सरकार को पसन्द नहीं आया था। उसने फिर से क्रास को इसमें प्रतिष्ठित कर दिया। पता नहीं मनमोहन सिंह सरकार ने किसको खुश करने के लिए यह किया था। नरेन्द्र मोदी ने इसको भारतीय गरिमा के अनुरूप बनवाया है। उन्होंने इस साल लालकिले की प्राचीर से परतंत्रता के प्रतीकों से भी मुक्ति का आह्वान किया। क्रास ब्रिटिश काल की रॉयल नेवी के ध्वज में था। इस प्रतीक को बनाए रखने की आवश्यकता नहीं थी। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजपथ का कर्तव्य पथ नामकरण किया है। यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा की प्रतिमा का लोकार्पण किया है। यह सब न्यू इंडिया के प्रतीक हैं। यह सुखद संयोग है कि कुछ दिन पहले भारतीय अर्थव्यवस्था ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है। ब्रिटेन विकसित देशों में शुमार है। वह संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा पारिषद का स्थाई सदस्य है। किन्तु अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत से पीछे है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से पंच प्राणों की बात कही थी। उनमें सबसे पहला है-विकसित भारत का निर्माण। विकसित भारत के निर्माण के लिए देश के उत्पादन क्षेत्र में मेक इन इंडिया का विस्तार हो रहा है। बीते वर्षों में देश ने पोर्ट लीड डेवलपमेंट को विकास का एक अहम मंत्र बनाया है। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि सिर्फ आठ वर्षों में भारत के पोर्ट्स की कैपेसिटी लगभग दोगुनी हो गई है। हर चुनौती से पार पाते हुए भारत ने चार सौ अठारह बिलियन डॉलर अर्थात इकतीस लाख करोड़ रुपये के व्यापार निर्यात का नया रिकॉर्ड बनाया। कुछ दिनों पहले जीडीपी के आंकड़े आए हैं। यह दिखाते हैं कि भारत की कोरोना काल में बनाई गई नीतियां और निर्णय कितने महत्वपूर्ण थे। पिछले साल इतने वैश्विक व्यवधान के बावजूद भारत ने छह सौ सत्तर बिलियन डॉलर अर्थात पचास लाख करोड़ रुपये का कुल निर्यात किया। देश के विकास के साथ सरकार आर्थिक और समाजिक रूप से पिछड़े समुदाय के लिए बहुत से प्रयास कर रही है। पिछले आठ वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ा है। अब इस लिस्ट में अमेरिका,चीन,जापान और जर्मनी के साथ भारत का भी नाम लिखा जाएगा। इस समय ब्रिटेन महंगाई, विकास और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर परेशानी झेल रहा है।

आजादी के बाद से पचहत्तर वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय छह गुना बढ़ गई है। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अगले पच्चीस वर्षों में एक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है। भारत ने कृषि और सेवा क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है। देश की जीडीपी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में साढ़े तेरह प्रतिशत रही। वहीं, इससे पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर बीस प्रतिशत से अधिक रही थी। नरेन्द्र मोदी ने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने के अपने अभियान के अंतर्गत दिल्ली में इंडिया गेट के पास सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। राष्ट्रपति भवन तक जाने वाले मुख्य मार्ग राजपथ का नामकरण कर्तव्य पथ के रूप में किया। गुलामी के दौर में राजपथ का नाम किंग्स-वे था। इंडिया गेट के पास एक छतरी के नीचे ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम की प्रतिमा स्थापित थी। आजादी के कुछ वर्ष बाद जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हटा दी गई थी। इसके बाद यह स्थान खाली पड़ा था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है। जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है। यह गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। यह मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक, निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है। राजपथ से लोकोन्मुखी यात्रा नहीं हो सकती। राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। राजपथ की भावना गुलामी का प्रतीक थी।उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज इसकी वास्तुशैली भी बदली है और इसकी आत्मा भी बदली है। इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा राष्ट्र भाव की प्रेरणा देगी। आजादी के अमृत महोत्सव में देश को नई प्रेरणा और नई ऊर्जा मिली है। आज के भारत में आत्मविश्वास है। सत्ता के प्रतीक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना जन प्रभुत्व और सशक्तिकरण का सशक्त उदाहरण है।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें