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केन्द्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता हुई बैठक, पाकिस्तान का पानी रोकने सहित इन मुद्दों पर हुई चर्चा

  चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को अमृतसर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 31वीं बैठक में सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के निर्माण कार्य को पूरा करने, कॉलेजों को संबद्ध करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।

बैठक में शामिल हुए कई वरिष्ठ नेता

बैठक में पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उत्तर भारतीय राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल का निर्माण न होने को लेकर पंजाब का कहना है कि पानी की उपलब्धता कम हो गई है। एसवाईएल का निर्माण और पानी की उपलब्धता दो अलग-अलग मुद्दे हैं। इस मामले को भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रावी, सतलज और ब्यास का अधिशेष पानी पाकिस्तान चला जाता है। पिछले 10 वर्षों में सतलुज का औसतन 1.68 एमएएफ पानी और रावी-ब्यास का 0.58 एमएएफ पानी पाकिस्तान की ओर चला गया है। इस राष्ट्रीय बर्बादी के समुचित उपयोग के लिए एसवाईएल जरूरी है।

एसवाईएल का निर्माण जल्द करने की जरूरत

उन्होंने कहा कि भाखड़ा बांध से नांगल बांध तक हरियाणा केवल 61 किमी है, इस लम्बे नांगल हाइडल चैनल (एनएचसी) का निर्माण 1954 के दौरान किया गया था, जिससे यह वर्तमान में 68 वर्ष पुराना है। एनएचसी के पुराना होने की स्थिति में यदि कोई दुर्घटना होती है तो पूरा सिस्टम बंद हो जाएगा और हरियाणा को पानी की आपूर्ति नहीं हो सकेगी। ऐसे समय में एसवाईएल वैकल्पिक माध्यम के रूप में कार्य करेगी। इसलिए एसवाईएल का निर्माण जल्द से जल्द किया जाए। पानी की अनुपलब्धता के आधार पर इसे रोकना उचित नहीं है। पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के कॉलेजों को संबद्धता देने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का हिस्सा पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत प्रदान किया गया था। इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1 नवंबर को एक अधिसूचना जारी करके समाप्त कर दिया था। हरियाणा के तत्कालीन अंबाला जिले के कॉलेज इस विश्वविद्यालय से संबद्ध थे। इसलिए अब पंचकुला, अंबाला और यमुनानगर के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी से संबद्धता दी जानी चाहिए। यह भी पढ़ेंः-बिजली से होने वाली दुर्घटनाों पर लगाम लगाएगी दिल्ली सरकार, जारी की नई गाइडलाइन मनोहर लाल ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) के मुद्दों पर चर्चा करते समय हमें धूलकोट बी.बी.एम.बी. पर विचार करना चाहिए। सब-स्टेशन की स्थिति को भी ध्यान में रखना होगा, जो वर्तमान में मरम्मत कार्यों के कार्यान्वयन में देरी से प्रभावित है। इस बिजली संयंत्र का कुशल संचालन न केवल बिजली उत्पादन के लिए बल्कि जल संसाधनों के उचित प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हम सभी राज्यों को लघु जल विद्युत परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों पर विचार करते हुए हथिनीकुंड पर बांध के प्रस्ताव को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में विचार करना चाहिए। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)