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यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्र करेंगे भूख हड़ताल, विपक्ष का मिला समर्थन

नई दिल्लीः रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के कारण पढ़ाई छोड़ स्वदेश वापस लौटे भारतीय छात्र अपनी मांगो को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में 23 जुलाई से 27 जुलाई तक भूख हड़ताल पर बैठेंगे, छात्रों की मांगों को समर्थन देने के लिए कुछ राजनितिक पार्टियों के नेता भी रामलीला मैदान जाएंगे। भारतीय छात्रों को तीन महीने से अधिक समय स्वदेश लौटे हुए हो गया है। छात्रों और परिजनों की मांग है कि उन्हें देश के मेडिकल कॉलेजों में एडजस्ट किया जाए, हालांकि सरकार की तरफ से अभी तक कोई इस पर निर्णय नहीं लिया है। जिस कारण छात्र और परिजन अब भूख हड़ताल पर बैठने पर मजबूर हैं।

23 जुलाई से 27 जुलाई तक अलग-अलग राज्यों से मेडिकल छात्र और उनके परिजन रामलीला मैदान पहुंचेंगे और वहां भूख हड़ताल पर बैठेंगे इस भूख हड़ताल को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी अपना समर्थन देगी। पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ यूक्रेन एमबीबीएस स्टूडेंट की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता इस भूख हड़ताल में अपना समर्थन देने पहुंचेंगे। वहीं आगामी दिनों में कांग्रेस पार्टी के कुछ प्रमुख चहरे छात्रों को अपना समर्थन देते हुए नजर आ सकते हैं।

एसोसिएशन के अध्यक्ष आर बी गुप्ता ने बताया कि, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह व सुशील कुमार गुप्ता हमारी मांगो को अपना समर्थन देने आएंगे। वहीं, कांग्रेस पार्टी से मुकुल वासनिक, तारिक अनवर व पार्टी के कुछ प्रमुख चहरे भी नजर आने की उम्मीद है। इससे पहले भी यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्र सरकार पर दबाब बनाने का प्रयास कर चुके हैं, अब तक कई ज्ञापन भी सौंपे जा चुके हैं लेकिन अभी तक इनके भविष्य को लेकर फैसला नहीं हो सका है।

देश के अलग अलग राज्यों में छात्रों की संख्या अलग है, दिल्ली में 150 मेडिकल के छात्र हैं जो यूक्रेन युद्ध के कारण स्वदेश लौटे, हरयाणा 1400, हिमाचल प्रदेश के 482, ओड़िसा 570, केरला 3697, महाराष्ट्र 1200, कर्नाटक 760, यूपी 2400, उत्तराखंड 280, बिहार 1050, गुजरात 1300, पंजाब 549, झारखण्ड 184 और पश्चिम बंगाल 392 छात्र हैं।

यूक्रेन में छह सालों में मेडिकल की पढ़ाई पूरी होती है। इसके बाद स्टूडेंट्स को एक साल अनिवार्य इंटर्नशिप करनी पड़ती है। फिर भारत में प्रैक्टिस करने और लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एफएमजीई यानी फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम के लिए पात्रता के लिए एक साल की सुपरवाइज्ड इंटर्नशिप भी करनी पड़ती है। इनके बाद एफएमजी एग्जाम क्वालीफाई करना पड़ता है।

देशभर में करीब 16 हजार विद्यार्थी हैं, जिनमें अधिकतर छात्र अवसाद में हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत भारत स्वदेश लौटे छात्र व उनके अभिवावक प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में ही आगामी मेडिकल शिक्षा ग्रहण किए जाने की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।

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