लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर शत-शत नमन व अपार श्रद्धा सुमन अर्पित किया है। उन्होंने कहा कि यूपी में बसपा की सरकार बनने से पहले ऐसे महापुरुष की घोर उपेक्षा की गयी। लेकिन बसपा के बैनर तले बहुजन समाज के राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरने से अब उनके वोट के लालच में वहीं जातिवादी तत्व महात्मा फुले की जयंती दिखावटी तौर पर मनाने को आतुर हैं। यह कैसा स्मरण, कैसी श्रद्धांजलि?
आगे उन्होंने कहा कि ऐसे महान सपूत को दिखावटी व स्वार्थी स्मरण करने के बजाए उनके सत्यशोधक रास्ते पर चलकर समाज व देश के वास्तविक हित एवं भला करना सभी का कर्तव्य है। महात्मा ज्योतिबा फुले को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर जातिवाद भेदभाव, जातिवाद द्वेष, असमानता और छुआछूत आदि के अभिशाप से मुक्ति के लिए सही नीयत के साथ कार्य किए जाए।
मायावती ने उन पलों को भी याद करते हुए बताया कि जब इंग्लैंड में स्त्री स्वतंत्रता की मांग उठने लगी थी। फ्रांस में मानवाधिकारों के लिए क्रांति शुरू हुई, उसी दौर में महात्मा ज्योतिबा फुले ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए एक जनवरी 1848 को पुणे में लड़कियों का पहला स्कूल खोला और अंततः नारी शिक्षा के प्रेणता कहलाए। इस दौरान उन्हें बहुत विरोध, अपमना सहने पड़े लेकिन अपने मित्रों के सहयोग और पत्नी ज्योति सावित्री बाई फुले की मदद से उन्होंने अपना मानवतावादी मिश्नरी संघर्ष जारी रखा और अमर हो गए।
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उन्होंने कहा कि आज जब भी विरोधी पार्टियां नारी मुक्ति और नारी सशक्तिकरण की बातें करते हैं तो उसमें चुनावी स्वार्थ ज्यादा ईमानदारी और निष्ठा कम होती है। इसलिए यह प्रश्न उचित व सामयिक है कि क्या ऐसी संकीर्ण सोच जातिवाद मानसिकता रखने वाली विरोधी पार्टियां और संगठन के लोग कभी भी समाज और देश का सच्चा हित भला कर पाएंगे? कभी नहीं, इसलिए लोगों को ऐसे स्वार्थी और जातिवादी तत्वों से खासकर चुनाव के समय इनकी जुमलेबाजी से बहुत ही सतर्क और सजग रहना जरुरी है।
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