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Mario Molina ने ओजोन परत में लगाया था छेद का पता

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Dr Mario Molina: 19 मार्च 1943 को मेक्सिको सिटी में जन्में डाॅ. मारियो मोलिना (Dr. Mario Molina) को बचपन से ही विज्ञान में रुचि थी। विज्ञान के प्रति उनके जुनून को इससे समझा जा सकता है कि बचपन में ही उन्होंने अपने बाथरूम को एक छोटे प्रयोगशाला में बदल दिया था। उनके पास एक खिलौने वाली सूक्ष्मदर्शी थी, जिसमें वे छोटे-छोटे जीवों की हलचल देखकर बेहद खुश हो जाते थे।

डाॅ. मारियो मोलिना (Dr. Mario Molina) रसायनशास्त्री व शिक्षाविद थे। 70 के दशक की शुरुआत में उन्होंने इस पर शोध करना शुरू किया कि सिंथेटिक रसायन वायुमंडल को कैसे प्रभावित करते हैं। डाॅ. मारियो उन वैज्ञानिकों में शामिल थे, जिन्होंने सबसे पहले यह जाना कि ये खतरनाक केमिकल ओजोन परत को तोड़कर सूर्य की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक सीधे पहुंचा रहे थे।

1995 में मिला नोबल पुरस्कार 

Mario Molina ने ओजोन परत के ह्रास पर एक महत्वपूर्ण खोज की और इसके लिए माॅडल भी विकसित किया। उनका कहना था कि वातावरण में मौजूद कुछ हानिकारक गैसों की वजह से ओजोन परत को नुकसान पहुंच रहा है। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष 1995 में रसायन क्षेत्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मेक्सिको में उनके नाम पर एक रिसर्च इंस्टीट्यूट मारियो मोलिना सेंटर की स्थापना की गई, जो दुनिया को सुरक्षित बनाने की दिशा में कार्य करता है। 7 अक्टूबर 2020 को 77 साल की उम्र में डाॅ. मोलिना निधन हो गया।

Mario Molina जर्मनी के विश्वविद्यालय से की पढ़ाई

डाॅ. मारियो मोलिना (Dr. Mario Molina) ने मेक्सिको के नेशनल ऑटोनाॅमस यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और जर्मनी के फ्रीबर्ग विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद साल 1968 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से भौतिक रसायन विज्ञान में पीएचडी की उपाधि हासिल की और बाद में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी में पोस्टडाॅक्टोरल शोध किया।

क्या है ओजोन परत

ओजोन परत या ओजोन लेयर वायुमंडल की एक परत है, जो सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों को सीधे धरती पर आने से रोकती है। इससे धरती पर रहने वाले सभी जीवों व पेड़-पौधों की हानिकारक किरणों से रक्षा होती है। सूरज की सीधी किरणें अगर धरती पर आएंगी, तो इससे समुद्री जीवों के खत्म होने का खतरा होगा, साथ ही मनुष्यों को भी कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ेगा। ओजोन परत धरती पर जीवन के लिए अतिआवश्यक है।

ओजोन परत के लिए हानिकारक हैं केमिकल

डाॅ. मोलिना (Dr. Mario Molina) ने ओजोन परत में हो रहे नुकसान के प्रति पूरी दुनिया को सचेत किया। उन्होंने कहा कि क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैसों (CFCs) की वजह से ओजोन परत लगातार पतली हो रही है। उन्होंने अंटार्कटिक ओजोन छिद्र का पता लगाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। डाॅ. मोलिना ने वायुमंडल की सुरक्षा के लिए खतरनाक गैसों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। उनके प्रयासों के फलस्वरूप साल 1987 में माॅन्ट्रियल प्रोटोकाॅल के तहत अधिकतर देशों ने क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) पर रोक लगा दी थी। डाॅ. मोलिना ने बताया कि CFCs रासायनिक रूप से आजोन परत को तोड़कर इसे नुकसान पहुंचाता है। बता दें कि CFCs का प्रयोग फ्रिज व एसी में कूलिंग के लिए किया जाता है।

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‘नेचर जर्नल’ में प्रकाशित हुआ शोध

डाॅ. मारियो मोलिना और उनके साथियों ने सिंथेटिक केमिकल से ओजोन परत को हो रहे नुकसान का पता लगाया। उनके शोध ने इस नुकसान को समझने में मदद की। उन्होंने ऐसे हानिकारक गैसों के बारे में खोज की, जो हम अपने रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल कर रहे हैं। क्लोरोफ्लोरो कार्बन इनमें प्रमुख है। उन्होंने अपने इस शोध को ‘नेचर जर्नल’ में प्रकाशित किया, जिसके बाद उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

क्या है माॅन्ट्रियल प्रोटोकाॅल (What is Montreal Protocol)

डाॅ. मारियो मोलिना की खोज ने ओजोन परत को रहे नुकसान के लिए दुनिया को जागरूक किया। इसकी वजह से माॅन्ट्रियल प्रोटोकाॅल की नींव पड़ी। यह एक समझौता था, जिसके तहत कई देशों ने ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले 100 से अधिक खतरनाक केमिकल्स के प्रोडक्शन को बंद कर दिया।

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