मुंबई: मराठा क्रांति मोर्चा के संयोजक मनोज जारांगे (Manoj Jarange) ने शनिवार को जालना में कहा कि 7 सितंबर को जारी सरकारी आदेश में कोई बदलाव नहीं किया गया है, इसलिए उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। जारांगे ने कहा कि मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने के सरकारी आदेश के बाद ही उनकी भूख हड़ताल खत्म होगी।
मनोज जारांगे (Manoj Jarange) पिछले 12 दिनों से जालना जिले के अंतरवाली सराती गांव में मराठा आरक्षण के लिए भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी मांग थी कि मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने के लिए सरकारी आदेश जारी किया जाए, साथ ही आंदोलन के दौरान मराठा युवाओं पर दर्ज मामले वापस लेने और मराठा समुदाय पर लाठीचार्ज करने वालों को निलंबित करने की भी मांग की गई।
शासनादेश से निजाम शब्द हटाने की मांग
इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 7 सितंबर को कैबिनेट बैठक में मराठा समुदाय को निज़ाम काल के वंशावली दस्तावेज़ के आधार पर कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने का निर्णय लिया और उसी दिन इस संबंध में एक सरकारी आदेश जारी किया गया। इस शासनादेश से मनोज जारांगे (Manoj Jarange) संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा कि शासनादेश से ‘निजाम युग वंशावली दस्तावेज’ शब्द को हटाया जाना चाहिए और मराठा समुदाय को सीधे कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने का उल्लेख किया जाना चाहिए।
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मनोज जारांगे के समर्थकों से मिले थे सीएम
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को मनोज जारांगे (Manoj Jarange) के समर्थकों को मुंबई बुलाया था और उनसे चर्चा की थी। इसके बाद आज शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर मुख्यमंत्री का संदेश लेकर जालना गए, लेकिन मनोज जारांगे (Manoj Jarange) ने कहा कि सरकार ने 7 सितंबर के सरकारी आदेश में कोई बदलाव नहीं किया है, साथ ही मराठा समुदाय पर लाठीचार्ज करने वालों को भी बाहर नहीं किया गया है। आंदोलन के दौरान मराठा समुदाय पर दर्ज मामले भी वापस नहीं लिये गये हैं, इसलिए वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
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