Monday, December 16, 2024
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Manipur Violence: SC में राज्य सरकार ने दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट, कल सुनवाई

supreme court

Manipur Violence नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्थिति में सुधार हो रहा है। इस समय किसी भी अफवाह से बचने की जरूरत है। तब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस रिपोर्ट को देखकर अपनी तरफ से सुझाव दें। हम कल सुनवाई करेंगे।

3 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। सुनवाई के दौरान मणिपुर ट्राइबल फोरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि 2 जुलाई की रात तीन लोगों की हत्या कर दी गई। इनमें से एक आदिवासी का सिर काट दिया गया। सिर कलम करने की यह पहली घटना है। यह एक गंभीर स्थिति है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर ने कहा था कि केंद्रीय बलों की 114 कंपनियां तैनात की गई हैं। हालात सुधर रहे हैं। इसका मणिपुर ट्राइबल फोरम ने कड़ा विरोध किया था। गोंसाल्वेस ने कहा था कि कुकी समुदाय पर हमला हो रहा है। सरकार विफल हो गई है। इसके बाद कोर्ट ने मणिपुर सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

81 से ज्यादा कुकी समुदाय के लोगों की हो चुकी है मौत

मणिपुर ट्राइबल फोरम ने यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में दिया गया आश्वासन झूठा था। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार मणिपुर के मुद्दे पर गंभीर नहीं है। याचिका में कहा गया है कि मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 17 मई को हुई आखिरी सुनवाई के बाद से कुकी समुदाय के 81 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 31,410 कुकी विस्थापित हुए हैं। इस हिंसा में 237 चर्च व 73 प्रशासनिक आवास जला दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त करीब 141 गांव तबाह हो गए हैं याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य के मुख्यमंत्री कुकी समुदाय को खत्म करने के लिए सांप्रदायिक एजेंडे पर काम कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि मीडिया में ऐसी खबरें दिखाई जा रही हैं कि दो समुदायों के बीच झगड़ा हो रहा है। ये तस्वीर पूरी तरह से गलत है।

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मामले में दो अलग-अलग याचिका की गई है दाखिल 

गौरतलब है कि 17 मई को केंद्र सरकार और मणिपुर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि हिंसा नियंत्रण में आ गई है। हाई कोर्ट ने मीतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के जो आदेश दिए थे, उस पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक साल का समय दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि सरकार से जुड़े लोग किसी भी समुदाय के खिलाफ बयान न दें। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले ही दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। एक याचिका बीजेपी विधायक दिंगांगलुंग गंगमेई ने व दूसरी याचिका मणिपुर ट्राइबल फोरम ने दायर की है।

विधायक गंगमेई की याचिका में मणिपुर HIGH COURT के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद पूरे मणिपुर में अशांति फैल गई है। इसके कारण कई लोगों की मौत हो गई. 19 अप्रैल को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी वर्ग में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया था. गंगमेई की याचिका में कहा गया है कि किसी भी जाति को एसटी में शामिल करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, न कि हाई कोर्ट के पास।

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