Friday, November 1, 2024
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बौर वाले पेड़ को न दे पानी, वरना होगा नुकसान, बागवानी किसान बरतें खास सावधानी

लखनऊः यदि आप आम की फसल से लाभ लेना चाहते हैं, तो पेड़ पर पहले बौर की ओर निहार लें। बौर आते समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए। यदि अमियां बन रही हैं, तो इनके पेड़ की सिंचाई से फसल को लाभ होगा। यदि बौर आने के बाद सिंचाई करते हैं, तो बागवानी करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। लापरवाही में उनके वर्ष भर की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।

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बसंतकाल में 15 फरवरी के आस-पास आम का बौर आने लगता है। किसान और बागवान बौर देखने के बाद ही फसल का दाम तय करते हैं। कुछ किसान नई जमीन तैयार करने के फेर में नुकसान उठा बैठते हैं और बौर आने के समय सिंचाई करने लगते हैं। यदि बौर के समय सिंचाई की गई, तो नुकसान होगा लेकिन अमिया आने के दौरान पेड़ की सिंचाई की गई है तो अच्छी फसल मिलेगी। सिंचाई मटर के दाने के बराबर फल हो जाने पर ही करनी चाहिए। बौर के समय सल्फर, सल्फेक्स व इकैलिप्स में से किसी एक का छिड़काव होनी जरूरी है। इससे बौर पर्याप्त मात्रा में आता है। उसकी पाले से सुरक्षा होती है। कुछ बाहरी प्रदेशों की प्रजाति वाले पौधे देर से बौर देते हैं, इनकी सिंचाई अभी नुकसानदेय है।

उद्यान निदेशक डॉ. आर. के. तोमर का कहना है कि जिस पेड़ पर सूड़ी लग रही है, उस पर क्लोरपाइरीफास और एंथ्रोकनोज का छिड़काव करना चाहिए। डासी मक्खी और फल मक्खी को बाग से दूर रखने के बराबर इंतजाम करें। दवा का छिड़काव करने के एक सप्ताह बाद ही अमिया को खाने योग्य समझें, अन्यथा सेहत के लिए बड़ा नुकसान कर सकता है। बागवान राजेश यादव का कहना है कि मलिहाबाद में बौर का समय निकल चुका है और अब अमिया कटने लगी हैं। अपने पूर्व के अनुभव के आधार पर राजेश कहते हैं कि बाग वाले खेत पर पानी डाल देने से अमिया को जान मिल जाएगी। तेज हवाएं आने पर भी वह पेड़ से अलग नहीं होंगी। अमूमन देखा जाता है कि लू और आंधी के चलते काफी अमिया टूटकर गिर जाती हैं, इसलिए अभी से सिंचाई करना शुरू कर दें।

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