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मौसम की मार से बेहाल आम किसानों ने मांगा मुआवजा, पकने से पहली ही गिर गए थे फल

लखनऊः यह साल आम किसानों के लिए बेहतर साबित नहीं हो रहा है। लगातार मौसम करवट बदल रहा है और इसमें किसानों को हर बार नुकसान हो रहा है। बागवान भी वसंत के बाद से हर माह करीब दो बार तेज आंधी का सामना कर रहे हैं, इसलिए भारतीय किसान यूनियन के भानु गुट ने अन्य सहफसलों की तरह ही आम के नुकसान पर भी भरपाई मांगी है।

मार्च और अप्रैल में मौसम कई बार बदल चुका है। इसका ज्यादा असर आम की फसल पर भी पड़ा है। पिछले 20 दिनों के दौरान कई बार आंधी आई। गर्मी की शुरूआत में भी यह स्थिति बनी रही। अमिया कटने के दौरान तो ओलावृष्टि ने आम के लिए तबाही मचा दी। मौसम के इस बिगड़ैल रूख ने आम उत्पादकों के अरमानों पर पानी फेर दिया। लगातार प्राकृतिक आपदा के कारण आम की फसल को जबरदस्त नुकसान हुआ है। अभी तक तो किसान अपने नुकसान पर मौन रहे, लेकिन अब वह सरकार से मदद की गुहार कर रहे हंै। भारतीय किसान यूनियन के भानु गुट ने बक्शी का तालाब और सरोजनीनगर में अपनी आवाज बुलंद की है।

मौसम ने उम्मीदों पर फेरा पानी –

सरोजनीनगर के प्रदेश उपाध्यक्ष टेकचंद की अगुवाई में किसान सरकारी प्रतिनिधि से मिला और गेहूं तथा धान की फसल में मौसम का कहर पर मुआवजे के प्रावधान का हवाला दिया। टेकचंद बीते दिनों एसडीएम सरोजनीनगर से भी मिल चुके हैं। किसानों की मांग है कि प्रदेश के आम उत्पादक इस बार अच्छा बौर आने की वजह से बंपर फसल की उम्मीद कर रहे थे। इसमें मौसम ने पानी फेर दिया है। आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से पूरे सीजन में अब तक फसल को करीब 50 फीसदी का नुकसान हो चुका है। जैसे-जैसे आम ने आकार लेना तेज किया, वैसे ही आम पर रोगों के साथ आंधी का प्रकोप भी बढ़ा है। बीते महीने ओलावृष्टि में ही बड़ी संख्या में बौर झड़ गए थे। जून का पहला सप्ताह भी आम के लिए सही नहीं चल रहा है। मौसम विभाग लगातार अलर्ट कर रहा है। आम धीरे-धीरे पकने लगा है। बाजार में बाग का आम आने लगा है, लेकिन यह उस दिशा में नहीं है, जिससे किसानों को मोटी कमाई मिल सके। अगर मौसम इसी तरह रहा, तो आगे और भी ज्यादा नुकसान होने की आशंका है।

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आंधी से गिर जाते हैं 50 क्विंटल आम –

मलिहाबाद के आम किसान राजेश यादव का कहना है कि जेठ की तपन फिलहाल आम के लिए बेहतर है लेकिन बारिश अभी न हो और आंधी थमी रही, तो राहत मिल सकती है। राजेश यादव ने बताया कि अकेले मलिहाबाद से एक आंधी में करीब 50 क्विंटल कच्चा आम पेड़ों से गिर जाता है। यदि यह पकने तक पेड़ पर रहे तो किसानों को ज्यादा कमाई का मौका मिलेगा। आंकड़ों पर गौर करें तो आम पकने तक केवल 30 फीसदी ही रह जाएगा। हालांकि, अभी राहत वाली खबर यह है कि पिछले साल की तुलना में इस साल अभी आम की फसल बेहतर है।

मलिहाबाद के प्रसिद्ध आम किसान कलीमुल्ला भी इस बार मौसम के रूख पर चकित हैं। स्वास्थ्य सही न होने से वह अब्दुल्ला नर्सरी मंे ही वह मौसम की उठक-बैठक को भांपते रहते हैं। इधर मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया भी आम के नुकसान पर मुआवजे की मांग कर रहा है। बताया जाता है कि आम से होने वाली आय पर प्रदेश के करीब एक करोड़ लोग अपना जीविकोपार्जन करते हैं। इधर लखनऊ के अमौसी स्थित मौसम विज्ञान केंद्र से वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों में आंधी और तूफान की आशंका है।

– शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट

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