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चुनाव आयोग को लेकर मद्रास हाई कोर्ट की टिप्पणी का ममता बनर्जी ने किया स्वागत

West Bengal, March 03 (ANI): West Bengal Chief minister Mamta Banerjee addresses during administration meeting in Kaliyaganj, on Tuesday. (ANI Photo)

कोलकाता: देशभर में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के बावजूद चुनावी रैलियों पर रोक लगाने में विफल चुनाव आयोग को लेकर मद्रास हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वागत किया है।

सोमवार को ममता बनर्जी ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को लेकर जो कहा है, वह स्वागतयोग्य है। उन्होंने कहा कि बंगाल के लोगों को मौत के घाट उतारने की साजिश के तहत ही यहां आठ चरणों में चुनाव कराए गए। उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के बाद ही कोरोना की लहर तेज हो गई थी और मैंने आयोग को चिट्ठी लिखकर बाकी चरणों के चुनाव एक साथ संपन्न कराने की अपील की थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सब कुछ भाजपा के इशारे पर किया गया। ममता ने कहा कि लाखों की संख्या में केंद्रीय बल बंगाल में हैं। मैं इन्हें जल्द यहां से वापस हटाने की मांग करती हूं। मैं इनके लिए व्यवस्थाएं और इनकी वजह से फैलने वाले कोविड-19 के कारण सेफ हाउस नहीं बना सकती।

सोमवार को भी प्रचार के आखिरी दिन उन्होंने आरोप लगाया कि नंदीग्राम के 10 मतदान केंद्रों पर सेंट्रल फोर्स ने रैगिंग की और वोटिंग में मदद की। चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि आठ चरणों में चुनाव भारतीय जनता पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए कराए गए हैं। असम में दो और तमिलनाड, केरल में एक चरण में चुनाव कराए गए, लेकिन यहां भाजपा के फायदे के लिए आठ चरणों में वोटिंग की गई। हालांकि इसका कोई लाभ भाजपा को नहीं होगा। तृणमूल कांग्रेस को बहुमत मिलेगा और भाजपा खरीद-फरोख्त भी नहीं कर पाएगी। ममता ने कहा, “मैंने 50 दिनों तक चुनाव प्रचार किया है अब वह अपना प्रचार खत्म कर रही हूं।” हालांकि भाजपा नेताओं पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि आयोग की रोक के बावजूद भाजपा के नेताओं की रैलियां हो रही हैं और लाखों लोग आ रहे हैं। कोई देखने पूछने वाला नहीं है।

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उल्लेखनीय है कि सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को निर्वाचन आयोग की तीखी आलोचना करते हुए देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के कथित प्रकोप के लिये उसे ”सबसे गैर जिम्मेदार संस्था” करार दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी तथा न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है।

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