कोलकाता: राष्ट्रपति चुनाव का औपचारिक ऐलान हो गया है। विपक्ष के साझा उम्मीदवार की कवायद के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार अपराह्न दमदम हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए रवाना हो गई हैं। बुधवार को वहां 22 विपक्षी पार्टियों के साथ उन्होंने बैठक का आह्वान किया है जिसमें कांग्रेस, एनसीपी समेत आम आदमी पार्टी, डीएमके और अन्य गैर भाजपा पार्टियों को आमंत्रित किया गया है। हालांकि उनके दिल्ली दौरे के पहले ही आम आदमी पार्टी, डीएमके और लेफ्ट ने इस बैठक से किनारा करने की घोषणा कर दी है। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि ममता बनर्जी यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति बनाने की कोशिश में है जबकि विपक्ष इसके लिए कतई तैयार नहीं हो रहा।
डीएमके और लेफ्ट ने बुधवार को 22 विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाने की ममता बनर्जी के एकतरफा फैसले की मुखालफत की और इस बात के संकेत दिया कि विपक्ष के नेतृत्व की ममता की एकतरफा कोशिश स्वीकार्य नहीं है। मंगलवार को दिल्ली रवाना होने से पहले एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री ने मीडिया से इस बारे में कोई बात नहीं की।
सूत्रों ने बताया है कि जिस यशवंत सिन्हा को ममता बनर्जी राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनाने की कोशिश कर रही हैं उन पर विपक्ष एकजुट नहीं हो सकता क्योंकि धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील चेहरे के रूप में वह सार्वभौमिक चेहरा नहीं हैं। इसके अलावा एनसीपी शरद पवार को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने की कोशिश में जुटी है। पवार भी मंगलवार को दिल्ली पहुंच कर माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी से भी मिलने वाले हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी शरद पवार को राष्ट्रपति बनाने का समर्थन किया था और कहा था कि वह बिल्कुल सही उम्मीदवार हैं।
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हालांकि पवार ने समय-समय पर ऐसी अटकलों को विराम दिया है, लेकिन उनकी पार्टी लगातार उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए पेश करती है जो माना जाता है कि पवार की सहमति के बगैर संभव नहीं है। खबरों के मुताबिक कांग्रेस ने भी शरद पवार को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए अपनी रजामंदी जताई थी। गत गुरुवार को ही कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे ने पवार से मुलाकात की थी। अगर ममता बनर्जी उनका समर्थन नहीं करती हैं और यशवंत सिन्हा के नाम पर अड़ी रहती हैं तो एक बार फिर वह राष्ट्रपति चुनाव के मामले में अकेले पड़ेंगी। ऐसे में उनके मुताबिक साझा उम्मीदवार पर सहमति नहीं बनने पर क्या वह भाजपा के उम्मीदवार को समर्थन करेंगी, अथवा सहमति नहीं बनने के बावजूद विपक्ष के साथ ही जाएंगी यह भी देखने वाली बात होगी।
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