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World Food Day 2022: भारत में कुपोषण बड़ी समस्या, 97 करोड़ आबादी को नहीं मिलता पौष्टिक आहार

नई दिल्लीः आज के बच्चे ही कल के भविष्य हैं। लेकिन वे भविष्य में तभी देश व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकेंगे, जब उनका बचपन स्वस्थ हो। भारत में कुपोषण गंभीर समस्या बनी हुई है। आंकड़ों के अनुसार, देश में पर्याप्त भोजन उपलब्ध न होने से 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं। इनमें से 17 लाख से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित एसएएम हैं।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनाकाल के बाद दुनिया के कई देश खाद्यान्न की कमी से जूझ रहे हैं। 'द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2022' का रिपोर्ट चौंकाने वाला है। इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में दुनिया के 76.8 करोड़ लोग कुपोषित हैं, जिनमें से 22.4 करोड़ भारतीय हैं। कुपोषण की वजह से देश के नौनिहाल कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 97 करोड़ से अधिक आबादी पौष्टिक खाने का खर्च वहन करने में असमर्थ है।

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यूनीसेफ की रिपोर्ट - 2019 में प्रकाशित यूनीसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। रिपोर्ट की मानें तो देश के 50 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, वहीं दुनिया के 70 करोड़ बच्चे इस समस्या से जूझ रहे हैं। कुपोषण का सीधा संबंध स्वास्थ्य से होता है। कुपोषण के कारण बच्चों का विकास उनकी आयु के अनुसार नहीं होता। इससे वे शारीरिक व मानसिक रूप से अस्वस्थ्य हो जाते हैं।

वर्ल्ड फूड डे की थीम - 1945 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना हुई थी। 1979 को पहली बार वर्ल्ड फूड डे मनाया गया। तब से हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड फूड डे को हर साल नए थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम है- किसी को पीछे ना छोड़ें (Leave no one behind)। दुनिया के 150 देश मिलकर इस दिन को मनाते हैं और दुनिया से भुखमरी व कुपोषण को खत्म करने के उपायों पर चर्चा करते हैं। इस दिन विभिन्न संगठनों द्वारा लोगों को पौष्टिक आहार के संबंध में जागरूक किया जाता है।

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