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नौनिहालों की सेहत पर भारी पड़ रही अफसरों की लापरवाही, बस्तर में 28 फीसद बच्चे कुपोषित

जगदलपुर: बस्तर में प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद जिले पर कुपोषण दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। महिला बाल विकास विभाग के द्वारा अगस्त 2022 में कराए गए वजन त्यौहार के रिपोर्ट के अनुसार बस्तर जिले में इस समय 24299 बच्चे कुपोषण का शिकार हो चुके हैं। इसमें से 6071 बच्चे तो अतिकुपोषित हैं। रिपोर्ट के अनुसार इस समय बस्तर जिले में 28.47 फीसदी बच्चे कुपोषण का दंश झेल रहे हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि जिले में कुपोषण को दूर करने के लिए किये जा रहे प्रयासों का असर है कि हम पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कुपोषण में 1.72 फीसदी की कमी कर पाए हैं। जिन ब्लाकों में कुपोषण ज्यादा है वहां पर नई योजना बनाकर काम किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले में 1981 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है और हर माह इन पर भारी भरकम बजट खर्च किया जा रहा है। जिले में संचालित इन आंगनबाड़ी केंद्रों में करीब 90 हजार बच्चे हैं। प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए पोषण आहार सहित अन्य योजनाओं पर खर्च किया जा रहा है।

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कुपोषण को दूर करने के लिए महिला बाल विकास विभाग हर साल करीब 10 करोड़ रूपए खर्च कर रहा है। लेकिन जिले के विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण कुपोषण के आंकड़े में उम्मीद के मुताबिक कमी नहीं आ रही है। बकावंड ब्लॉक में सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की संख्या 1423 है तो वहीं दूसरे नंबर पर बस्तर ब्लॉक में इनकी संख्या 1556 है। तीसरे नंबर पर लोहंडीगुड़ा ब्लॉक है जहां पर कुपोषित बच्चों की संख्या 970 है, इसी तरह बस्तर जिले के अन्य ब्लाकों में भी क्रमश: कुपोषित बच्चों की संख्या मिलती है।

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