Maldives Parliament: मालदीव की संसद उस वक्त जंग मैदान बन गई जब कुछ सांसद आपस में ही एक दूसरे भीड़ गए। इस दौरान सांसदों में जमकर लात-घुसे चले। जिससे विशेष सत्र लड़ाई की भेंट चढ़ गया। दरअसल मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की कैबिनेट की मंजूरी के लिए एक विशेष सत्र बुलाया गया था। जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दलों के सांसदों के बीच झटप हो गई।
मारपीट का वीडियो आया सामने
संसद परिसर के सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे एक सांसद दूसरे पर पैर रखकर उसे दबा रहा है। ये लड़ाई रविवार को सत्तारूढ़ पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी), प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) और विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के बीच हुई।
इस वीडियो को मालदीव के एक स्थानीय ऑनलाइन मीडिया संगठन ‘अधाधु’ ने भी शेयर किया। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि सांसद एक-दूसरे पर लात-घूंसे बरसा रहे हैं। इस दौरान एक सांसद जमीन पर गिरा जाता है जबकि दूसरा सांसद उसकी गर्दन पर पैर रख कर मारते हुए दिखाई दे रहा है। उसके बाद उनके बाल खींचते भी देखे गए। जबकि वहां पर मौजूद बाकी सांसद उन्हें छुड़ाने की कोशिश करते नजर आ रहें हैं।
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इतना ही नहीं एक सांसद सभापति के पास जाकर उनके कान के पास ऐसा वाद्य यंत्र बजाया कि सभापति को अपने कान बंद करने पड़े। इस मारपीट के बाद संसद परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। सवाल ये है कि मारपीट और हंगामे की ये स्थिति क्यों पैदा हुई?
*Viewer discretion advised*
Parliament proceedings have been disrupted after clashes between PPM/PNC MPs and opposition MPs. pic.twitter.com/vhvfCBgQ1s
— Adhadhu (@AdhadhuMV) January 28, 2024
इसलिए संसद में हुई बवाल
बता दें कि मालदीव में नवनियुक्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की ‘प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव’ और ‘पीपुल्स नेशनल कांग्रेस’ के साथ गठबंधन सरकार है। राष्ट्रपति मुइज्जू ने 22 सदस्यों वाली नई कैबिनेट का गठन किया है। मालदीव की संसद में इसे मंजूरी मिलनी थी और नवनियुक्त मंत्रियों को शपथ लेनी थी। लेकिन मुख्य विपक्षी दल ‘मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी’ ने 18 मंत्रियों के नाम पर मुहर लगा दी। लेकिन चार प्रमुख मंत्रियों के नामों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
दरअसल 87 सदस्यीय संसद में इन दोनों दलों के पास 56-56 सांसद हैं। यानी उनके पास बहुमत है। इनके बिना मंत्रियों के नामों को संसद में मंजूरी दिलाना संभव नहीं है। उनके रुख को देख सत्ता पक्ष के सांसदों ने संसद की कार्यवाही रोकने की कोशिश की। पीएनसी और पीपीएम ने इस लड़ाई के लिए एमडीपी को जिम्मेदार ठहराया है।
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