लखनऊः यदि आप अच्छी खेती करना चाहते हैं, तो दलहनी फसलों में शामिल उड़द और मूंग की बुवाई करें। इसकी खेती खरीफ सीजन में होती है। दो दशकों से उड़द की खेती ग्रीष्म ऋतु में भी लोकप्रिय हो रही है। उड़द स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ भूमि को भी पोषक तत्व प्रदान करता है। इसकी फसल को हरी खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, इसलिए आप भी इसे अपने खेतों में बोएं और दाने लेने के बाद इसे जोत दें। मिट्टी में दबकर यह सड़ जाएगी, साथ ही खेती को पुष्ट करेगी।
उड़द की खेती नम और गर्म मौसम में की जाती है। इसे उस समय बोएं, जबकि फसल की वृद्धि के समय 25-35 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान हो। 700-900 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में उड़द को आसानी से उगाया जाता है। यह ऐसी फसल है जो कि 43 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान सहन कर सकती है। हालांकि जलभराव से इसके पौधे गल जात हैं। जब फूल निकल रहे होते हैं, उस दौरान बारिष का पानी बड़ा नुकसान देता है। उड़द की खेती रेतीली, दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि में की जाती है। जिन खेतों में इसे बोया जाए, उनकी ढाल और पानी की निकासी अच्छी हो।
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माना जाता है कि बारिश होने से पहले बोनी करने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। उड़द को अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती है। मानसून के आगमन पर या जून के अंतिम सप्ताह में पर्याप्त वर्षा होने पर इसकी बुवाई कर देनी चाहिए। ग्रीष्मकाल में इसकी बुवाई फरवरी के अंत तक या अप्रैल के प्रथम सप्ताह से पहले करनी चाहिए। हर परिस्थितियों मंे इस बाद का ध्यान रखें कि पौधों में फलियां पकने लगें तो इन्हें तोड़ लेना चाहिए। पौधों में पूरी तरह से हरियाली रहे, तभी खेत जोतने से नमी का फायदा मिल जाता है और यह मिट्टी में दबकर अच्छी खाद का काम करता है।
– शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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