प्रदेश उत्तर प्रदेश Featured

जनकल्याणकारी योजनाओं से आए सामाजिक बदलावों को शोध का विषय बनायें विविः राज्यपाल

लखनऊः राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन स्थित प्रज्ञा कक्ष में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के नैक मूल्यांकन के लिए तैयारियों की समीक्षा की। प्रस्तुतीकरण के दौरान राज्यपाल ने अनेक बिन्दुओं पर सुधार के लिए आवश्यक निर्देश दिए और कहा कि तैयारियों को बेहतर करने के लिए समितियां बनाकर कार्य किया जाये। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन के लिए नैक के जो मानक निर्धारित हैं। उसी अनुसार सभी बिन्दुओं पर जिम्मेदारियों का विभाजन करते हुए व्यवस्था बनाई जाए। उन्होंने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं से आए सामाजिक बदलावों को विश्वविद्यालय शोध का विषय बनायें, जिससे युवाओं को अधिकतम लाभ मिल सके।

ज्ञात हो कि नैक द्वारा विश्वविद्यालयों के स्तर का मूल्यांकन 75 प्रतिशत डेटा आधारित तथा 25 प्रतिशत विजिट आधारित होता है। इसके लिए सम्पूर्ण मूल्यांकन की सात श्रेणियां निर्धारित हैं। इस विश्वविद्यालय द्वारा नैक मूल्यांकन के लिए पहली बार प्रयास हेतु तैयारियां की जा रही है। राज्यपाल ने हाल ही में 4 एवं 5 अप्रैल को लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय नैक मंथन कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा दिए गए प्रशिक्षण के अनुरूप कमियों को दूर करते हुए तैयारी को बेहतर करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यशाला इसी उद्देश्य से आयोजित की गई थी कि विश्वविद्यालय नैक रैंकिंग के आवेदन के सभी नियमों को भली-भांति समझ कर निर्धारित मापदण्डों के अनुसार अपनी तैयारी कर सकें। उन्होंने निर्देश दिया कि यदि आवश्यकता हो तो विश्वविद्यालय के अधिकारी और शिक्षक अवकाश के दिनों में भी कार्य करके नैक मूल्यांकन की तैयारी को बेहतर करें। विश्वविद्यालय की बेस्ट प्रैक्टिस एवं नवाचार बढ़ाने के बिन्दु पर विशेष चर्चा करते हुए राज्यपाल ने भारतीय संस्कृति को पोषित करने वाले लोक साहित्य के संकलन पर जोर दिया। कहा कि भारत में बच्चों को सुलाने के लिए मांएं लोरी गाती थीं, विवाह समारोहों के विविध आयोजनों और शुभ मुहूर्तों पर महिलाएं विविध प्रकार के मंगल गीत गाती थीं, जो आधुनिक समाज में विलुप्त होते जा रहे रहे हैं। ऐसे गीतों को विश्वविद्यालय अपने स्तर से संकलित कराने का कार्य करा सकते हैं।

ये भी पढ़ें..अलवर में मंदिर तोड़ने का मामला, नाराज साधु-संतों के साथ ‌BJP...

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा बेस्ट प्रैक्टिस के तहत गांवों तक जाकर किए गए विविध कार्यों तथा स्वास्थ्य की देखभाल की प्रगति का पुनरावलोकन का निर्देश भी दिया। उन्होंने कहा कि यदि विद्यार्थी किसी उत्पाद का निर्माण करते हैं तो उसे बिक्री कराकर विद्यार्थियों को उसका लाभ प्रदान किया जाये। उन्होंने विश्वविद्यालय के कार्यों में विद्यार्थियों की सहभागिता बढ़ाने के निर्देश के साथ उनकी अतिरिक्त गतिविधियों में गांवों का इतिहास तैयार कराने का सुझाव दिया। बैठक में राज्यपाल ने अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के साथ-साथ भारत की क्षेत्रीय भाषाओं के पाठ्यक्रमों को बेहतर करने, पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाने कि दिशा में सार्थक प्रयास करने के साथ-साथ पुराने छात्रों को संस्थान से जोड़कर प्रगति मेें उनका योगदान बढ़ाने पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की नैक मूल्यांकन के लिए यह प्रथम तैयारी है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)