उत्तर प्रदेश

दिसंबर माह में इन फसलों से करिए भरपूर कमाई, टमाटर, मूली और पालक के लिए है बेहतर समय

लखनऊः वैसे तो सालों-साल कुछ न कुछ फसल बोने का अवसर बना रहता है, लेकिन दिसंबर में कई ऐसी फसलें (crops) बोई जाती हैं, जो किसानों को काफी लाभ दे जाती हैं। यह फसलें सहालग के लिए भी उपयोगी होती हैं। बस जरूरत होती है कि फसल के बारे में पर्याप्त जानकारी जुटा लें।

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वैसे तो अब अधिकतर सब्जियों की खेती पूरे साल होने लगी है। यह बात भी सही है कि बेमौसम फसल (crops) लेने से उत्पादन में कमी भी आती है। यदि पैदावार अच्छी न हुई तो किसानों को मायूस भी होना पड़ता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में देखा जा रहा है कि सही समय पर फसल लेने से बेहतर उत्पादन के साथ भरपूर कमाई की जा सकती है। ऐसे में दिसंबर का महीना काफी महत्वपूर्ण होता है।

इस माह टमाटर की खेती की जा सकती है। इसके लिए इसकी उन्नत किस्मों का चयन किया जाना चाहिए। बाजार में तमाम लोग टमाटर के पौधे भी बेच रहे हैं, पर इसकी उन्नत किस्मों में अर्का विकास, सर्वोदय, सिलेक्शन, स्मिथ, समय किंग, टमाटर 108, अंकुश, विकरंक, विपुलन, विशाल आदि लगाने से पैदावार अधिक होती है। हालांकि, यदि किसान क्रय केंद्र या किसी बीज बिक्री केंद्र जा सकते हैं तो वह शोधित बीज ही खरीदकर बोएं।

एक माह के अंदर तैयार हो जाते हैं पौधे

टमाटर के उन्नतशील बीज वाले पौधे 30 दिन में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। बुवाई के दौरान यदि तापमान अनूकूल न हुआ, तो चार या छह दिन अधिक लग सकते हैं। जब कभी पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर उखाड़ कर रोपें, उनको मिट्टी से अच्छी तरह से दबा दें। इसमें इतना पानी डालें कि मिट्टी जड़ों को कस ले।

ठंडी जलवायु में बोएं मूली और पालक

मूली और पालक के लिए ठंडी जलवायु अच्छी रहती है। यह फसलें (crops) बेहद लाभकारी होती हैं और दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में तैयार होती हैं। यह मिट्टी यूपी के तमाम जिलों के साथ ही लखनऊ और आस-पास के जिलों में बड़े पैमाने पर है। मूली की उन्नत किस्में जापानी सफेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफेद आदि हैं।

मूली को बोने में लाइन से लाइन या मेड़ों से मेड़ों की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर तथा ऊंचाई 20 से 25 सेंटीमीटर रखें। वहीं पौधे से पौधे की दूरी 5 से 8 सेंटीमीटर उचित मानी जाती है, जबकि पालक की बुवाई करते समय मौसम का विशेष ध्यान देना चाहिए। अब पालक की बुवाई वर्ष भर की जाती है। यही कारण है कि यह बाजार में सालों-साल बिकती रहती है, फिर भी पालक के लिए सर्दी का मौसम अधिक अनुकूल माना जाता है।

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