
लखनऊः जब सूर्य देव ग्रहमण्डल की 12 राशियों में संचरण करते हुए धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्राति मनाई जाती है। उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है। इस वर्ष स्नान-दान पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के साथ ही एक माह से चला आ रहा खरमास भी समाप्त हो जाएगा। शुभ दिन शुरू हो जाते है। रूके हुए मांगलिक कार्य पुनः आरम्भ हो जाते है। इस दिन वैसे तो कुछ भी दान किया जा सकता है, लेकिन खिचड़ी, तिल और गुड़ विशेष तौर पर दान किया जाता है। मकर संक्रांति पर गंगा के तट पर मेला लगता है। इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व है लेकिन प्रयाग में त्रिवेणी मेें, काशी में दशाश्वमेध घाट व पश्चिमी बंगाल में गंगा सागर में स्नान का बहुुत पुण्य मिलता है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
सूर्य देव शनिवार की रात 8ः33 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इस कारण पर्व का पुण्य काल उदया तिथि यानि दूसरे दिन रविवार को मनाया जाएगा। उसी दिन सुबह स्नान व दान पुण्यदायक रहेगा। दिन के प्रथम प्रहर तक स्नान पुनीत माना जाता है। इस दिन खिचडी, तिल, उड़द की दाल और गुड़ दान करना विशेष तौर पर शुभकारी माना जाता है। इन चीजों का दान करने से भगवान सूर्यदेव के साथ ही शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, तिल, अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर अर्घ्य दें।
ये भी पढ़ें..Makar Sankranti Special Recipe: मकर संक्रांति पर बनाएं दक्षिण भारत की…
पूरे देश में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है पर्व
मकर संक्रांति का त्योहार पूरे देश में किसी न किसी रूप में मनाते हैं। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी, दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाते है। वहीं असम में इसे बिहू व पंजाब मे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। सब जगह अपनी-अपनी परम्पराए है। लोग अपनी परम्परा से इसे मनाते है। गुजरात में इस दिन पंतग उडाई जाती है। उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी का त्योहार भी कहा जाता है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)