Makar Sankranti 2024: देश भर में आज मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। ऐसे तो हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन द्रिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2024 में सोमवार, 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जा रही है। इस दिन स्नान-दान और सूर्य की उपासना का बहुत महत्व है।
घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
उत्तरकाशी के पौराणिक मणिकर्णिका घाट, लक्षेश्वर, शंकर मठ, केदार घाट, नाकुरी, देवीधार, गंगोरी अस्सी गंगा तट आदि स्नान घाटों पर सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के महादेव घाट पर सुबह से स्नान करने के लिए श्रद्धालु पहुंचे और आस्था की डुबकी लगाई। भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। स्नान करके हाटकेश्वर महादेव का दर्शन करके परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की। नदी में स्नान करने का सिलसिला सुबह से शुरू हुआ जो दोपहर तक चलता रहेगा।
पतंग उड़ाने अलसुबह छतों पर चढ़े लोग
मकर संक्रांति पर सुबह से ही लोग छतों पर चढ़ गए और पतंग उड़ाने लगे। वो काटा, वो मारा के शोर के बीच तिल के लड्डू और कचौरी-पकौड़े के नाश्ते के बीच लोग पतंग उड़ा रहे हैं।
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मकर संक्रांति पर दान-दक्षिणा का विशेष महत्व
आज श्रद्धालु नदियों में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाने का बहुत महत्व है। मकर संक्रांति पर दान और दक्षिणा का भी विशेष महत्व है। मकर संक्रांति पर स्नान के बाद ही दान करने की परंपरा है। दान तभी पुण्य माना जाता है जब वह सही समय और विधि से किया जाए। मासिक धर्म के दौरान ही दान करना सर्वोत्तम होता है।
मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य देव स्वयं अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर जाते हैं। बता दें कि सूर्य देव हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं। इसी कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्य और शनिदेव की पूजा करने से जीवन से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
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