Maharashtra News: महाराष्ट्र के वाशिम जिले के भटूमरा गांव में वारकरी परंपरा से जुड़ी एक अनोखी घटना देखने को मिली। प्यारे बैल की मौत के बाद ग्रामीणों ने पूरे रीति-रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया और तेरहवीं की रस्म भी निभाई गई।
Maharashtra: सदियों से चली आ रही परंपरा
तेरहवीं के मौके पर गांव के सभी बैलों को मीठा प्रसाद खिलाया गया। सामुदायिक भोज का भी आयोजन किया गया। इसके अलावा किसानों को शॉल और टोपी देकर सम्मानित किया गया। गांव के लोगों का कहना है कि वारकरी संप्रदाय के रीति-रिवाजों के चलते यह परंपरा पीढ़ियों से निभाई जाती रही है।
दरअसल भटूमरा गांव में बैल को सिर्फ खेतों में काम करने वाला जानवर नहीं माना जाता, बल्कि उसे परिवार का हिस्सा माना जाता है। बैल की मौत के बाद भी उसे मानवीय सम्मान दिया जाता है। गांव के निवासी अभिमन काले ने कहा, “बैल हमारी खेती और परिवार का सहारा है। इसलिए उसकी मौत के बाद भी उसे पूरा सम्मान देना हमारा कर्तव्य है।”
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भटूमरा गांव की परंपरा ग्रामीण एकता का प्रतीक
भटूमरा गांव की यह परंपरा ग्रामीण एकता का प्रतीक है। बैलों को प्रसाद खिलाने से लेकर सामूहिक भोज तक सभी रस्मों में ग्रामीणों के आपसी प्रेम और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यह अनूठी परंपरा सिर्फ भटूमरा तक ही सीमित न रहे, बल्कि अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है। खेती-किसानी और पशुधन के महत्व को समझते हुए ऐसी परंपराएं ग्रामीण जीवनशैली और उसकी गरिमा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।