Navratri Special: तंत्र-मंत्र साधना के लिए विख्यात है यह मंदिर, महानिशा की रात लगता है तांत्रिकों का जमावड़ा

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Navratri Special 2023: शारदीय नवरात्रि में विंध्याचल में तंत्र साधना का विशेष महत्व है। विंध्याचल अष्टभुजा पहाड़ी की गोद में बसा भैरव कुंड सदियों से तंत्र साधना का स्थल रहा है। अघोर साधना का केंद्र होने के कारण हर साल भैरवी उपासक यहां आते हैं। तांत्रिक और देवी भक्तों को इस दिन का बेसब्री इंतजार रहता हैं। तंत्र पूजा के लिए विंध्य क्षेत्र में स्थित विभिन्न मंदिरों में तांत्रिकों का जमावड़ा शुरू हो गया है। महाअष्टमी की रात पूजा (mahanisha puja) को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। महानिशा पूजा और मां काली की पूजा के लिए देश के कोने-कोने से तांत्रिकों और देवी भक्तों का आना शुरू हो गया है।

तांत्रिक यहीं पर करते तंत्र साधना

दरअसल सिद्धपीठ में बड़ी संख्या में भक्त नौ दिनों तक साधना कर सिद्धियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। तांत्रिक यहीं पर तंत्र साधना करते हैं। साथ ही बलि पूजा एवं पंचमकार साधना यहां की जाती है। पहाड़ी की तलहटी में लगभग पांच सौ फीट नीचे स्थित इस स्थल पर आने के बाद हर कोई अपना सुध बुध खो बैठता है। नवरात्रि भर देशभर से तांत्रिक इसी स्थल पर जुटते हैं। मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा व मां काली के दर्शन के बाद भक्त यहां आना नहीं भूलते। यंत्र पूजा (mahanisha puja) करने के बाद ही वापस लौटते हैं।

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बता दें कि भैरव कुंड के पास एक गुफा में अघोरेश्वर रहते थे। गुफा के भीतर भक्तों, श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ अघोरेश्वर की चरण पादुका एक चट्टान में जड़ दी गई है। विंध्य पर्वत पर अनेक गुफाएं हैं, जिनमें रहकर साधक साधना करते हैं। यहां कई साधक आकर नाना प्रकार की साधनाएं करते और अघोरेश्वर की कृपा से सिद्धि प्राप्त करते हैं। आज भी अनेक साधक, सिद्ध, महात्मा आदि से यहां भेंट हो जाती है।

महाअष्टमी के दिन पूजा का विशेष महत्व

विंध्य क्षेत्र में साधना का कार्य पूरे नवरात्र भर चलता रहता है लेकिन महाअष्टमी के दिन इसका विशेष महत्व हो जाता है। दिन की अपेक्षा शाम को त्रिकोणीय सड़क पर चहल-पहल काफी बढ़ जाती है। तंत्र साधकों को वाम मार्ग की उपासना से सिद्धि प्राप्त होती है। विंध्याचल के भैरव कुंड रामगया घाट के श्मशान घाट पर विराजमान भगवती मां तारा देवी दस महाविद्याओं में प्रमुख विद्या हैं।

विंध्यधाम में छुपे हैं कई रहस्य !

विंध्यधाम में कई रहस्य छुपे हुए हैं। जब कोई साधक देवी भगवती की आराधना करता है तो मां की कृपा से इन रहस्यों से पर्दा स्वत: ही हट जाता है। रहस्यों को देखकर और जानकर भक्त स्वर्ग के आनंद का अनुभव करता है। यहां देवी का अमोघ प्रेम और आशीर्वाद सदैव भक्तों पर बरसता है। महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज ने अपनी जीवनी में विंध्याचल में अपनी साधना के अनुभवों का वर्णन किया है।

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