अपने ही देश में विलुप्त हो रही जादू की कला, मैजिक अकादमी खोले सरकारः आनंद

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अशोकनगर: जादू भारतीय सांस्कृतिक विरासत है, लेकिन भारत में सरकारों के प्रोत्साहन के अभाव में जादू (magic) जैसी कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं, जबकि विदेशों में भारतीय जादू को प्रोत्साहित किया जाता है। यह बात विश्व प्रसिद्ध जादूगर आनंद ने बुधवार को प्रेस वार्ता में पत्रकारों से कही।

विश्व प्रसिद्ध जादूगर तीन दशक बाद शुक्रवार से दस दिनों तक यहां अपना हैरतअंगेज शो दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि जादुई कला (magic) भारत की सांस्कृतिक विरासत है, लेकिन भारत में सरकार की ओर से प्रोत्साहन न मिलने के कारण ऐसी कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में इतनी प्रसिद्धि पाने के बावजूद उन्हें भारत में सरकारों द्वारा सम्मानित नहीं किया गया, इसका उन्हें कोई मलाल नहीं है, लेकिन विदेशों में उन्हें कई पुरस्कार मिले। वह सरकार से मांग कर रहे हैं कि मध्य प्रदेश में एक जादू अकादमी बनाई जाए, ताकि विलुप्त हो रही जादू (magic) की कला को जीवित रखा जा सके और युवाओं को रोजगार के साधन आसानी से उपलब्ध हो सकें।

7 साल की उम्र से दिखाया जादू 

जादूगर आनंद ने बताया कि वह 7 साल की उम्र में जादू (magic) में आए, जिसके बाद उन्हें कई चरणों से गुजरना पड़ा। उनका मानना है कि वह भारत में जादू को जीवित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि उनका बेटा एमबीए करने के बाद किसी और पेशे में नहीं बल्कि इसी जादुई कला में पारंगत हो गया।

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अंधविश्वास को रोकना है उद्देश्य 

जादूगर आनंद का कहना है कि उनका मकसद जादू की कला (magic) के जरिए देश में अंधविश्वास को रोकना है। उनका कहना है कि भगवा वस्त्र पहनने वाले कुछ लोग जो चमत्कार दिखाते हैं, वह अंधविश्वास के अलावा कुछ नहीं है। उनका मानना है कि कोई भी व्यक्ति अपनी ऊर्जा को जागृत करके ऐसे चमत्कार कर सकता है।

जादूगर का काम जागरूकता लाना

जादूगर आनंद का कहना है कि जादूगर का काम समाज में जागरूकता लाना है, जो वह बाइक पर काली पट्टी बांधकर करता है। उन्होंने कहा कि देश में आज तक किसी भी दृष्टिहीन व्यक्ति की दुर्घटना में मौत नहीं हुई है, जागरुकता की कमी के कारण दुर्घटना में दृष्टिहीन लोगों की ही मौत होती है।

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