भोपालः मध्य प्रदेश की सघन और अधिक जनसंख्या वाले संभाग केंद्रों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम गुरुवार शाम से लागू कर दिया गया है, इसके लिए कमिश्नर प्रणाली लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। अब यहां राज्य शासन एडीजे स्तर के अधिकारी को पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करेगा। वहीं, इस पुलिस आयुक्त प्रणाली के अंतर्गत भोपाल में 38 थाने और इंदौर में 36 थाने आएंगे।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि आज से ही ये प्रणाली राज्य में लागू हो गई है । इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है । डॉ. मिश्रा ने बताया कि पुलिस कमिश्रर प्रणाली में इसी सप्ताह के अंदर नए कमिश्नर भी पदस्थ हो जाएंगे । इस प्रणाली के जारी होने के बाद अब एडीजे स्तर के अधिकारी इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्रर होंगे । उनका कहना था कि इंदौर के 36 और भोपाल के 38 थाने पुलिस कमिश्नर प्रणाली के अंतर्गत आएंगे।
नई व्यवस्था में गृह विभाग ने दंड संहिता की धारा 107/16, 144,133, पुलिस एक्ट, मोटर व्हीकल अधिनियम, राज्य सुरक्षा अधिनियम, शासकीय गोपनीयता, अनैतिक देह व्यापार, राज्य सुरक्षा जिला, किडनैप आदि के अधिकार पुलिस को दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 नंवबर को भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की घोषणा की थी। चौहान द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद से विभाग इसको लेकर ड्राफ्ट तैयार करने में लगा हुआ था, फिर जब ड्राफ्ट तैयार हो गया तो विधि विभाग के पास अंतिम बार बारीक परीक्षण के लिए भेजा गया, वहां से आवश्यक संसोधन होने के बाद गुरुवार शाम इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की वर्ष 1981 से कवायद चल रही थी। सबसे पहले तीन जून 1981 को कैबिनेट में पांच लाख से ज्यादा की आबादी वाले चार शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी । इसके बाद 27 मार्च 1997 को तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार में वित्त मंत्री रहे स्व. अजय नारायण मुशरान, आरिफ अकील, नंदकुमार पटेल व अजय सिंह की समिति बनाई गई थी। समिति ने दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, अमरावती सहित शहरों का दौरा भी किया था पर कोई फैसला नहीं हो सका। फिर वर्ष 2000 में दिग्विजय सरकार के दूसरे कार्यकाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लेकर चर्चा चली । पुलिस कमिश्नर प्रणाली का विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया गया। विधानसभा से पारित होने के बाद इसे अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया, इस पर फिर कुछ हो पाता तब तक दिग्विजय सरकार ही चली गई।
इसके बाद इसे लेकर वर्ष 2012 में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने लेकर कहा था, फिर समय-समय पर यह बात उठती रही। वर्ष 2018 में राजस्व विभाग ने कमिश्नर प्रणाली को लेकर प्रस्ताव भी तैयार किया पर इसे कैबिनेट में प्रस्तुत नहीं किया जा सका था लेकिन लगातार के किए जा रहे प्रयासों के बाद आज यह पुलिस कमिश्नर सिस्टम अब अपने मूर्त रूप में आ गया है।
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नई व्यवस्था में भोपाल-इंदौर में मुंबई की तर्ज पर क्राइम ब्रांच, ट्रैफिक के लिए अलग-अलग डीसीपी नियुक्ति होंगे। इनके अधीन दो-दो एसपी स्तर के अधिकारी तैनात रहेंगे। क्राइम ब्रांच को संगीन अपराधों की विवेचना, छानबीन का काम सौंपा जाएगा। इसी तरह, शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने का जिम्मा ट्रैफिक डीसीपी के पास रहेगा।
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