लखनऊः खाने-पीने और खेती के मामले में लखनऊ स्मार्ट है। जिस चीज का चलन या उत्पादन हाल में ही हुआ है, वह यहां के बाजारों में मिल रहा है। विदेशी अमरूद और तरबूज पहले से यहां बिक रहे हैं, जबकि दक्षिण भारत का आम कुछ दिनों बाद बाजार में आने वाला है। नवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और जेठवान में सिंघाड़े (singhara) की काफी मांग रहती है। सिंघाड़े का आटा उपवास में काम आता है। किसानों को त्यौहारी सीजन का आनंद भी अक्टूबर में सिंघाड़े के कारण ही मिलता है। यह सिंघाड़ा लखनऊ में अभी से बिकने लगा है।
पश्चिम यूपी के बरेली और सहारनपुर में सिंघाड़ा (singhara) सितंबर में ही आ चुका था। अक्टूबर के पहले सप्ताह में यह लखनऊ में भी पहुंच चुका है। हालांकि, कुछ लोग इसे अगेती सिंघाड़ा (singhara) मानते हैं। इस सीजन में सिंघाड़ा सबसे ज्यादा उपवास रखने वालों के काम आता है। सीजनल होने के कारण यह सब्जी में भी इस्तेमाल किया जाता है। अभी यह काफी महंगा है, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, इसकी कीमत भी कम होने लगेगी। जो सिंघाड़ा लखनऊ के बाजारों में बेचा जा रहा है, वह बाहर का है। अभी गोमतीनगर के कठौता झील क्षेत्र में सिंघाड़ा तोड़ने जैसी स्थिति में नहीं है। यह एक जलीय सब्जी है, जो पानी के अंदर उगती है।
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सेहत के लिए फायदेमंद है सिंघाड़ा
सिंघाड़े का सेवन स्वास्थ्य के काफी लाभकारी होता है। सिंघाड़े में तमाम तरह के पोषक तत्व होते हैं। यह शरीर को प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स देता है। बीपी और हार्ट की बीमारियों में भी यह लाभदायक होता है। इसमें मौजूद पोटैशियम हमारे दिल की सेहत के लिए अच्छे होते हैं। सिंघाड़ा खाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में फाइबर मिलता है। वजन नियंत्रित करने में भी यह काम आता है। सिंघाड़े में 74 प्रतिशत पानी होता है।
समय के साथ बढ़ रही मांग
सिंघाड़े का आटा कई मौकों पर इस्तेमाल किया जाता है, जबकि कच्चा सिंघाड़ा सब्जी बनाने के काम आता है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, इसकी मांग भी बढ़ रही है। अभी गोवर्धन पूजा के मौके तक इसकी मांग बनी रहेगी। जिन किसानों ने सिंघाड़ा लगाया था, उनके लिए यह काफी लाभकारी बनेगा। अभी अगेती सिंघाड़ा की मांग ज्यादा रहती है, जबकि नुकसान के कारण कम किसान ही सिंघाड़ा की खेती करते हैं। जो किसान बाजार में इसे पहुंचा रहे हैं, वह मोटी कमाई भी कर रहे हैं।
-शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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