लखनऊः दीपावली मनाने के लिए लोग भले ही अभी से पटाखों के साथ मिठाई, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति के अलावा पूजा सामग्री की खरीद कम कर रहे हों लेकिन इन सभी सामग्रियों की दुकाने नई नवेली दुल्हन की तरह सज-धज कर ग्राहकों का इंतजार कर रही हैं। दरअसल इसी महीने करवा चैथ का त्यौहार गुजरा है इसलिए अभी लोग अपनी नवम्बर में सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही सरकारी और निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों का वेतन मिलेगा उसके बाद बाजार ग्राहकों से गुलजार दिखाई देने लगेंगे।
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50 रुपए से लेकर 5 हजार रुपये तक मूर्तियां
मिट्टी से बने भगवान गणेश व लक्ष्मी की मूर्ति के अलावा रंग-बिरंगे खिलौने अपनी भव्यता को बिखेर रहे रहे है। बाजार में सड़कों के किनारे लगे लक्ष्मी गणेष की दुकानें अपनी ही तरह की अलग भव्यता रखें दिखाई दे रही हैं। रंग बिरंगी और सजी धजी लक्ष्मी गणेष की मूर्ति देखकर ग्राहक उनमें मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह पा रहे। सहादतगंज की लकडमंडी में मूर्तियों की मैनुफैचरिंग से लेकर पेंटिंग व उनके थोक व्यापारियों तक बेचने तक का काम एक ही छत के नीचे हो रहा है। यहां पर कई घर ऐसे हैं जो इस काम में लिप्त है।
सहादतगंज लकड़मंडी 80 रूपये से लेकर 2000 तक की मूर्तियां
सहादतगंज लकड़मंडी में 80 रूपये से लेकर 2000 तक की मूर्तियां मिल जाएंगी। यहां पर एक दुकानदार ने बताया कि पिछली बार के मुकाबले इस बार मूर्तियों की कीमत कुछ ज्यादा है। क्योंकि इस बार मिट्टी की कीमत भी बढ़ी हुई थी। डीजल के दाम बढ़े होने से हर चीज की ढुलाई की कीमत बढ़ चुकी है। मिट्टी हो, पाॅलीथिन हो या कारीगरी सबकी कीमत बढ़ने से मूर्ति की लागत भी बढ़ गई। फिर भी इस बार देसी मूर्तियों की मांग काफी ज्यादा है। कोलकाता से लाई गई लक्ष्मी गणेष की मूर्ति की मांग में भी भारी इजाफा देखा जा रहा है।
फुटकर में लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां के दाम आसमान पर
दिवाली से पहले बाजारों में इस बार 50 रुपये से लेकर 5 हजार रुपये तक की लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बिक रहीं हैं। त्योहार पर बिक्री के लिए दुकानदारों ने पश्चिम बंगाल, गुजरात से खूबसूरत और सजावटी मूर्तियां मंगाई हैं। जो खरीदारों को रिझा रहीं हैं। दीपावाली की तैयारियां जोर पकड़ रही हैं। लोग खरीदारी में जुट गए हैं। ऐसे में बाजारों में भीड़ धीरे-धीरे बढ़ रही है। दीपावाली पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों की खरीदारी सबसे अहम है। बाजार में टेराकोटा वाली तीन से चार इंच की गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति सबसे कम दाम 50 रुपये में बिक रही हैं। वहीं, कोलकाता से मंगाई मूर्तियां सबसे महंगी है। रेशमी कपड़े, कुंदन और नग वाले गहनों से सजी यह मूर्तियां छह इंच से लेकर एक फीट तक की हैं। ये 150 से लेकर 5 हजार तक कीमत पर बेची जा रही हैं।
सज गए मिट्टी के दिए के बाजार
इस दीपावली पर चाइनीज वस्तुओं के बहिष्कार का असर बाजारों में दिख रहा है। पिछले साल की अपेक्षा इस बार मिट्टी के दीपकों का बाजार अधिक सजा हुआ है। कारीगर भी खुश हैं कि शायद इस बार की दीपावली पर दीपकों की बिक्री अधिक हो। टेड़ी पुलिया बाजार में मिट्टी के दिए लगाए बैठे मो. अलीम ने बताया कि फिलहाल अभी ऐसा नहीं है कि बाजार में मंदी हो अभी भी दोपहर बाद से बाजारों में लोगों की भीड़ देखी जा सकती है। देर शाम तक बाजार में चहल-पहल बनी रहती हैं। शाम को बाजार में लोेगों की भीड़ के बावजूद अभी बाजार ने तेजी नहीं पकड़ी है। उम्मीद है एक या दो तारीख से बाजार में खरीदारी में तेजी आए। मो अलीम ने बताया कि वह बाराबंकी से मिट्टी का सामान लेकर यहां आए हैं।
मिट्टी के दियों की कीमत व रेंज
साधारण डिजायन के मिट्टी के दिए की कीमत 100 रूपये में 100 दिए हैं। जबकि डिजायन वाले मिट्टी के दिए 120 सैकड़ा से 150 रूपये सैकड़ा मिल रहे हैं। इसके अलावा मिट्टी के अन्य तरह के खेल खिलौने की कीमत भी 10 रूपये से लेकर 150 रूपये तक है। मो अलीम के अनुसार इस बार बाजार कुछ मंहगी है। क्योंकि इस बार सभी कुछ मंहगा मिला है। मिट्टी के आयटम को पकाने के लिए कंडा और लकड़ी की कीमत भी बहुत ज्यादा हो चुकी है। इसके साथ ही माल भाड़ा भी बहुत बढ़ा हुआ है। जिसकी वजह से बाजार में थोड़ी बहुत महंगाई है।
रिपोर्ट- पवन चौहान
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