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डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों के ऑन्कोलॉजी विभाग, कैंसर मरीज परेशान

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Oncology Department , लखनऊः यूपी की राजधानी लखनऊ के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में ऑन्कोलॉजिस्ट का भारी टोटा है। इस वजह से कैंसर के मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है और कई बार तो गंभीर स्थिति में पहुंचने के बाद ही उन्हें इलाज मिल पा रहा है।

डॉक्टरों की कमी के कारण ओपीडी में मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण डॉक्टरों के पास पर्याप्त समय नहीं है और मरीजों को वह ठीक से देख नहीं पाते हैं। हालांकि, विभिन्न विभागों में कैंसर के मरीज आते हैं, लेकिन डेडीकेटेड ओपीडी की संख्या बहुत कम है। इसके परिणामस्वरूप, कैंसर मरीजों के उपचार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

ऑन्कोलॉजी विभाग में डॉक्टरों की कमी एक गंभीर समस्या

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग (oncology department) में डॉक्टरों की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। इस विभाग में तैनात तीन डॉक्टरों में से केवल एक ही सक्रिय है, जिससे ओपीडी केवल सप्ताह में तीन दिन ही संचालित हो पाती है। नतीजतन, मरीजों को 1-2 महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है। हर दिन 100-150 मरीजों की संख्या से स्थिति और भी जटिल हो गई है और इनमें से अधिकांश नए मरीज गंभीर हालत में होते हैं। यहां पर ऑन्कोलॉजी सर्जरी विभाग भी है, जहां 08 पोस्ट में 02 पद खाली हैं।

मरीजों को 3 – 5 महीने तक करना पड़ता है इंतजार

यहां रोजाना 8-10 सर्जरी ही की जा रही हैं। इसी तरह लोहिया संस्थान की स्थिति भी केजीएमयू से बहुत अलग नहीं है। यहां भी एक ही डॉक्टर के भरोसे विभाग चल रहा है। ओपीडी में प्रतिदिन 100-125 मरीज आते हैं और मरीजों को एक महीने तक इंतजार करना पड़ता है। संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई – SGPI) में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ही नहीं है। कैंसर के मरीजों को रेडियोथेरेपी विभाग में देखा जाता है, जहां एक मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट पहले से था लेकिन अब वह संस्थान छोड़ चुका है। प्रतिदिन 150 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं और सर्जरी के लिए मरीजों को 3-5 महीने तक इंतजार करना पड़ता है।

कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ही नहीं है। मरीजों को अन्य संस्थानों में रेफर किया जाता है। ओपीडी में प्रतिदिन 150-200 मरीज आते हैं और सर्जरी के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट है। हाल के दिनों में, विभिन्न सुपर स्पेशियलिटी संस्थानों ने कैंसर उपचार में अपनी विशेषता को बनाए रखने के लिए नई योजनाएं लागू की हैं। पीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने स्पष्ट किया कि उनके संस्थान में अलग से मेडिकल या सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सभी मरीजों को अन्य विभागों में देखा जा रहा है।

केजीएमयू के प्रवक्ता, डॉ. सुधीर सिंह ने कहा है कि हम सभी मरीजों को देखते हैं। जो गंभीर मरीज होते हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर उपचार दिया जाता है। लोहिया संस्थान के प्रवक्ता, डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने बताया कि मेडिकल ऑन्कोलॉजी की ओपीडी तीन दिन चलती है और जल्द ही खाली पद भरे जाएंगे, जिससे मरीजों को और अधिक सुविधाएं मिलेंगी। इसी बीच, डॉ. देवाशीष शुक्ला, एमएस, कैंसर संस्थान ने कहा कि मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होगी, जबकि फिलहाल मरीजों को पीजीआई और अन्य संस्थानों में रेफर किया जा रहा है। इन संस्थानों के प्रयासों से कैंसर मरीजों को समय पर और प्रभावी उपचार मिलने की उम्मीद है, जो उनकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार कर सकता है।

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कैंसर के निदान और उपचार में ऑन्कोलॉजिस्ट की भूमिका

ऑन्कोलॉजिस्ट, कैंसर के निदान और उपचार में विशेषज्ञता रखने वाले स्वास्थ्य सेवा प्रदाता हैं, जो रोगियों को उनकी बीमारी के दौरान हर कदम पर सहायता प्रदान करते हैं। ये विशेषज्ञ न केवल कैंसर के निदान में मदद करते हैं, बल्कि विभिन्न उपचार विकल्पों की पहचान कर लाभ और दुष्प्रभावों पर भी चर्चा करते हैं। कैंसर एक जटिल बीमारी है, जिसके कारण विभिन्न प्रकार के ऑन्कोलॉजिस्ट मौजूद हैं। इनमें मुख्यतः सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल चिकित्सा ऑन्कोलॉजिस्ट और न्यूरोलॉजिकल ऑन्कोलॉजिस्ट शामिल हैं।

सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट कैंसर कोशिकाओं को हटाने के लिए सर्जरी करते हैं और रोगियों को सर्जरी से पहले और बाद में देखभाल प्रदान करते हैं। मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट कीमोथेरेपी,हार्मोन थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे उपचारों का उपयोग करते हैं और अक्सर उन्हें प्राथमिक कैंसर डॉक्टर माना जाता है। विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट विशिष्ट कैंसर के लिए विकिरण चिकित्सा का उपयोग करते हैं, जबकि स्त्री रोग विशेषज्ञ स्त्री रोग से संबंधित कैंसर का उपचार करते हैं।

बाल चिकित्सा ऑन्कोलॉजिस्ट बच्चों में अधिक आम कैंसर जैसे ल्यूकेमिया का उपचार करते हैं और न्यूरोलॉजिकल ऑन्कोलॉजिस्ट मस्तिष्क ट्यूमर वाले रोगियों की देखभाल करते हैं। ऑन्कोलॉजिस्ट का उद्देश्य न केवल रोगियों के कैंसर का प्रभावी उपचार करना है, बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखना भी है। कैंसर के निदान और उपचार में ऑन्कोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका से रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य की ओर बढ़ने में मदद मिलती है।

रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान

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