Lord Jagannath, उदयपुर: पुरी की तर्ज पर उदयपुर के 400 साल पुराने मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हुई। रथयात्रा के साथ शहर के विभिन्न इलाकों से शोभा यात्राएं भी निकलीं। श्रद्धालु भक्ति गीतों पर नाचते नजर आए। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ स्वामी, माता महालक्ष्मी, दानी रायजी की सुसज्जित व मनमोहक प्रतिमाएं राजसी वस्त्र धारण किए हुए थीं। भगवान चांदी के रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन दिए। श्रद्धालुओं ने रथ को छूकर आशीर्वाद लिया। रथ में मौजूद कार्यकर्ताओं ने आसपास चल रहे श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया।
भक्ति में सराबोर दिखे भक्त
जगन्नाथ रथयात्रा घंटाघर से आगे बढ़ी और बड़ा बाजार होते हुए मोचीवाड़ा पहुंची। रास्ते में कार्यकर्ता भगवा ध्वज लेकर आगे बढ़ते रहे और भगवान के जयकारे लगाते रहे। लोगों ने छतों पर खड़े होकर भगवान के दर्शन किए। रथयात्रा में किन्नर समुदाय ने भी भाग लिया। यात्रा में चल रहे श्रद्धालुओं ने उनसे भी आशीर्वाद लिया। रथ के आगे समिति की ओर से डीजे की व्यवस्था की गई थी। इसमें युवा भक्त भक्ति संगीत पर नाचते-गाते आगे बढ़ते रहे। नाथद्वारा विधायक एवं मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ भगवान के रथ पर सवार होकर आए और दर्शन किए।
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कब हुई थी शुरुआत
महाराणा जगत सिंह ने 1709 ई. में इस रथ यात्रा की शुरुआत की थी। इसके बाद 1996 से मंदिर कमेटी इसका आयोजन कर रही है। रथ यात्रा शुरू होने से पहले भगवान को 21 तोपों की सलामी दी गई। इसके बाद भगवान को पालकी में बिठाकर रथ तक ले जाया गया और फिर रथ में विराजमान किया गया। रथ यात्रा के आगे श्रद्धालुओं की भीड़ चलती रही। रथ यात्रा कमेटी के 50 कार्यकर्ता भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचते रहे। भगवान को मंदिर से रथ पर विराजमान करने के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मौजूद रही। लोगों में भगवान के दर्शन करने की होड़ मची रही।
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