Lok Sabha Elections 2024: सिंधिया नहीं छोड़ना चाहते पुराना गढ़ और नेटवर्क

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Lok Sabha Elections 2024, शिवपुरीः लोकसभा चुनाव के लिए मध्य प्रदेश से 24 उम्मीदवारों की घोषणा बीजेपी ने शनिवार को कर दी गई। इसी घोषणा के बीच बीजेपी ने बहुचर्चित सीट गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव लड़ाने का ऐलान किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया तत्कालीन बीजेपी उम्मीदवार केपी सिंह से 1.25 लाख वोटों से चुनाव हार गए थे, लेकिन साल 2020 में दलबदल के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और राज्य सभा के लिए चुने गए। जिसके बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्री बनाया गया। अब एक बार फिर अपने गढ़ में किसी और को हावी न होने देने की रणनीति पर काम करते हुए केंद्रीय मंत्री सिंधिया वर्ष 2024 में भाजपा से लोकसभा टिकट पाने में सफल रहे हैं। वे पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।

केपी यादव से ज्योतिरादित्य सिंधिया की तनातनी जारी –

हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। साल 2020 में मध्य प्रदेश में राजनीतिक दलों के बदलाव के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और राज्यसभा चले गए। इसके बाद से ही ऐसी अटकलें चल रही थीं कि क्या बीजेपी उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में दोबारा मैदान में उतारेगी या नहीं। उधर, गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से केपी यादव की जीत को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तनाव में रहे।

यह बात कई मौकों पर खुलकर सामने आई कि सांसद केपी यादव ने इस क्षेत्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सक्रियता और दखल को लेकर कई परोक्ष टिप्पणियां कीं, लेकिन सिंधिया ही चुप रहे और अपना समय आने का इंतजार करते रहे। बता दें कि सिंधिया परिवार का गढ़ माने जाने वाले गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत हासिल की है।

सिंधिया परिवार और गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र का रिश्ता

देखा जाए तो गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र कई वर्षों तक सिंधिया परिवार का क्षेत्र रहा है। पूर्व में इस संसदीय क्षेत्र से सिंधिया परिवार की राजमाता विजयाराजे सिंधिया और दिवंगत माधवराव सिंधिया कई बार सांसद चुने जा चुके हैं। वहीं, ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया भी इस संसदीय क्षेत्र से चार बार सांसद रह चुके हैं। इस तरह देखा जाए तो इस संसदीय क्षेत्र से लगातार सिंधिया परिवार का कोई न कोई सदस्य लोकसभा जाता रहा है।

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सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर किसी और का कब्जा न हो, इसके लिए भी सिंधिया परिवार इस योजना पर अमल करता रहा ताकि इस सीट पर उनके परिवार का दबदबा कम न हो जाए. कुल मिलाकर इसी रणनीति के तहत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने सामने उपलब्ध दो विकल्पों, ग्वालियर और गुना संसदीय सीटों में से गुना सीट को चुना।

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