उत्तर प्रदेश राजनीति लोकसभा चुनाव 2024

Lok Sabha Elections 2024: विरासत संभालने में पीछे नहीं पश्चिमी यूपी के नेता

Lok Sabha Elections 2024

मेरठः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक विरासत संभालने में यहां के नेता पीछे नहीं हैं। कई नेता अपने दादा और पिता की विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं। इनमें से कई नेताओं की साख दांव पर है।

भारतीय राजनीति में भाई-भतीजावाद कोई नई बात नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति भी इससे अछूती नहीं है। यहां के नेताओं ने अपनी आने वाली पीढ़ियों को राजनीतिक विरासत सौंपी। इनमें से कई नेता इस विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं। मेरठ जिले की राजनीति में शाहिद मंजूर और अखलाक परिवार ने इसी विरासत को आगे बढ़ाया है। सपा सरकार में पूर्व मंत्री और किठौर विधायक शाहिद मंजूर ने अपने पिता मंजूर अहमद की पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाया। मंजूर अहमद मेरठ शहर सीट से चार बार विधायक रहे। अब उनके बेटे शाहिद मंजूर किठौर से चार बार विधायक रह चुके हैं।

उनका लोकसभा पहुंचने का सपना अधूरा रह गया। वह दो बार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। शाहिद का बेटा नवाजिश वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य है। बसपा नेता मुनकाद अली दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। उनकी बहू निदा परवीन किठौर नगर पंचायत की चेयरमैन बनी हैं। किठौर से विधायक रहे अब्दुल हलीम खान ने अपनी विरासत अपने बेटे परवेज हलीम को सौंपी है। वह किठौर से विधायक भी रह चुके हैं। हाजी अखलाक सपा के टिकट पर मेरठ शहर सीट से विधायक थे। उनके बेटे शाहिद अखलाक मेरठ के मेयर और सांसद बने। शाहिद के भाई राशिद अखलाक भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।

रशीद मसूद सहारनपुर जिले से सांसद और विधायक होने के अलावा केंद्रीय मंत्री भी थे। उनके भतीजे इमरान मसूद विधायक रह चुके हैं और इस बार वह कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। रशीद मसूद के बेटे शाजान मसूद भी सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। दिग्गज यशपाल सिंह भी विधायक और सांसद बने। उनका बेटा भी राजनीति में सक्रिय है।

बागपत जिले में चौधरी चरण सिंह तीन बार बागपत सीट से सांसद चुने गए हैं। उनकी विरासत उनके बेटे अजित सिंह ने संभाली और वह अलग-अलग पार्टियों से पांच बार बागपत लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। अजित सिंह के बेटे जयंत सिंह मथुरा से लोकसभा चुनाव जीते, लेकिन बागपत सीट से चुनाव हार गए। 1969 में रघुवीर सिंह शास्त्री ने बागपत से चुनाव जीता और 1998 में उनके बेटे सोमपाल शास्त्री ने बीजेपी के टिकट पर आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह को हराया।

गाजियाबाद जिले के लोकप्रिय नेता राजपाल त्यागी सात बार मुरादनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीते और दो बार राज्य सरकार में मंत्री रहे। उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बेटे अजीतपाल त्यागी ने बखूबी संभाला है। अजीतपाल पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए और इसके बाद वह लगातार दूसरी बार मुरादाबाद सीट से बीजेपी विधायक हैं। 1989 में जेडीयू नेता केसी त्यागी ने गाजियाबाद सीट से लोकसभा चुनाव जीता था। फिलहाल उनके बेटे अमरीश त्यागी बीजेपी में सक्रिय हैं।

लोकदल के सईद मुर्तजा 1977 में मुजफ्फरनगर जिले से सांसद बने। उनके बेटे सईदुज्जमां 1985 में मोरना से विधायक बने और 1999 में कांग्रेस के टिकट पर मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव जीते। 1974 और 1977 में मोरना से विधायक बने नारायण सिंह राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे। वह लोकसभा चुनाव नहीं जीत सके। उनकी विरासत को उनके बेटे संजय चौहान ने 1996 में सपा के टिकट पर मोरना सीट से विधायक बनकर आगे बढ़ाया। संजय चौहान 2009 में बिजनौर से सांसद चुने गए थे। संजय चौहान के बेटे चंदन चौहान वर्तमान में मीरापुर से विधायक हैं और बीजेपी-आरएलडी गठबंधन के साथ बिजनौर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसी जिले के बघरा से विधायक रहे हरेंद्र मलिक फिलहाल लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वह राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। हरेंद्र मलिक के बेटे पंकज मलिक तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। वर्तमान में वह चरथावल से विधायक हैं। अलीम आलम खान कैराना से लोकसभा सांसद चुने गए। उनके बेटे नवाजिश आलम खान 2012 में बुढ़ाना से सपा विधायक बने।

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कैराना की राजनीति में अख्तर हसन का परिवार उनकी विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रहा है। अख्तर हसन के सांसद बनने के बाद उनके बेटे मुनव्वर हसन ने बड़ी राजनीतिक पारी खेली। इसके बाद मुनव्वर की पत्नी तबस्सुम हसन सांसद बनीं। मुनव्वर के बेटे नाहिद हसन फिलहाल कैराना से विधायक हैं और बेटी इकरा हसन इस बार कैराना से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। पूर्व राज्यपाल वीरेंद्र वर्मा 1967 में कांधला, 1969 में खतौली और 1974 में बघरा से विधायक बने। इसके बाद 1998 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर कैराना से लोकसभा चुनाव जीता। उनके बेटे डॉ. सतेंद्र वर्मा शामली से चुनाव हार गए। इसी तरह पूर्व मंत्री वीरेंद्र वर्मा आठ बार विधायक रहे, लेकिन बेटे मनीष चौहान चुनाव हार गये हैं। पूर्व सांसद हुकुम सिंह कैराना सीट से कई बार विधायक रहे और 2014 में सांसद चुने गए। उनकी बेटी मृगांका सिंह ने भी बीजेपी से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गईं। बिजनौर जिले के नूरपुर से सपा विधायक रामौतार सैनी हैं। उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए उनके बेटे दीपक सैनी इस समय बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

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