Lok Sabha Election 2024, रायबरेलीः देश की अहम लोकसभा सीटों में से एक रायबरेली को हमेशा से कांग्रेस का अभेद्य किला माना जाता रहा है, बावजूद इसके 1996 में बीजेपी ने यहां अपना झंडा फहराया था और कांग्रेस के गढ़ में पहली बार कमल खिला था। यह चुनाव परिणाम जहां बीजेपी के लिए उत्साहजनक रहा, वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। यह रायबरेली चुनाव में कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था और यह पार्टी के लिए अपने ही गढ़ में सबसे बुरा दौर था। वहीं बीजेपी ने अपनी जीत को आगे भी जारी रखा और 1998 में यहां से जीत दर्ज की।
1996 पहली बार खिला कमल
दरअसल, रायबरेली में केवल तीन चुनाव हुए हैं जहां कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों ने जीत हासिल की है। 1977 में जनता पार्टी जबकि 1996 और 1998 में भाजपा यहां से विजयी रही। मंडल कमंडल के दौर में पहली बार पार्टी का खाता रायबरेली में खुला और अशोक सिंह विजयी हुए। भारतीय जनता पार्टी के अशोक सिंह को 163390 वोट मिले और उन्होंने जनता दल के अशोक सिंह को हराया।
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जनता दल प्रत्याशी को 129503 वोट मिले। सबसे बुरी स्थिति कांग्रेस की थी। कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम कौल इंदिरा गांधी के चचेरे भाई और शीला कौल के बेटे थे लेकिन वह कोई करिश्मा नहीं कर सके और सिर्फ 25,457 वोट ही हासिल कर सके। ये कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी शर्मिंदगी थी। यह कांग्रेस के लिए अपने ही गढ़ में सबसे बुरा दौर था। 1996 में रायबरेली में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया और पार्टी को 33.93 फीसदी वोट मिले।
उस समय थी कांग्रेस विरोध की लहर
यह रायबरेली में पार्टी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। जनता दल को 26.90 फीसदी वोट मिले, बसपा को 24.80 फीसदी वोट मिले। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 5.29 फीसदी वोट ही मिल सके, जो उसके लिए अब तक का सबसे कम वोट प्रतिशत था। राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र सिंह चौहान कहते हैं, ‘उस समय कांग्रेस के विरोध की लहर थी, लेकिन रायबरेली की इस स्थिति के लिए कांग्रेस नेता खुद जिम्मेदार थे। शीला कौल यहां दो बार सांसद रहीं लेकिन कभी सक्रिय नहीं रहीं। जिससे जनता नाराज हो गई और कांग्रेस को बेहद निराशाजनक परिणाम मिले।
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