Lohri 2025: पंजाब समेत देशभर में आज लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोहड़ी को दशकों से फसल उत्सव के तौर पर मनाया जाता रहा है। यह एकता का उत्सव है, जिसे देशभर में सभी लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। लोहड़ी पर जमकर पतंगबाजी हो रही है। लोग अपनी छतों पर पतंग उड़ाते हुए नाच रहे हैं।
Lohri 2025: राष्ट्रपति मुर्मू और उपराष्ट्रपति ने शुभकामनाएं
लोहड़ी के पावन पर्व पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देशवासियों को लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू त्योहारों की बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल और माघ बिहू के पावन अवसर पर मैं देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।
ये त्यौहार हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता में एकता के प्रतीक हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाए जाने वाले ये त्यौहार प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं। कृषि से जुड़े ये त्यौहार हमारे किसानों के प्रति उनकी अथक मेहनत के लिए आभार व्यक्त करने का भी अवसर हैं। मेरी कामना है कि ये पावन त्यौहार हर व्यक्ति के जीवन में खुशियां और समृद्धि लेकर आएं।”
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वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक्स पोस्ट पर लिखा, “लोहड़ी, मकर संक्रांति, माघ बिहू और पोंगल के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं। ये त्यौहार हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में अनोखे तरीके से मनाए जाते हैं। ये फसल के मौसम का सम्मान करने की हमारी सदियों पुरानी परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोहड़ी और माघ बिहू की पवित्र लपटें सभी विपत्तियों को दूर करें, मकर संक्रांति की पतंगें हमारे दिलों को उल्लास से भर दें और पोंगल की पारंपरिक मिठास उत्सव और खुशी के पल लेकर आए।”
Lohri 2025: लोहड़ी पर्व का इतिहास
बता दें कि लोहड़ी का त्योहार लोककथाओं और पारिवारिक परंपराओं में गहराई से निहित है, इसे दशकों से फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता रहा है। यह त्योहार अग्नि से भी जुड़ा है, जो गर्मी और समृद्धि का प्रतीक है। लोहड़ी के बाद ठंड कम हो जाती है और दिन बड़े होने लगते हैं।
फसल के मौसम का एक जीवंत उत्सव लोहड़ी का हर साल बेसब्री से इंतजार किया जाता है। यह पारंपरिक पंजाबी त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले आता है। लोहड़ी सिखों और हिंदुओं दोनों के बीच समान रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है। इस साल लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जा रही है। इसे लोहड़ी या लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति के एक दिन पहले पड़ता है ये त्योहार
मकर संक्रांति (makar sankranti), जिसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है, सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। हर साल 14 जनवरी को मनाया जाने वाला यह त्योहार सूर्य के उत्तर की ओर बढ़ने का प्रतीक है। यह त्योहार रंग-बिरंगी सजावट, पतंगबाजी और सामुदायिक समारोहों के साथ मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में, ग्रामीण बच्चे घर-घर जाकर गीत गाते हैं और मिठाइयाँ इकट्ठा करते हैं। यह त्यौहार ऋतुओं में बदलाव का भी प्रतीक है, जो सर्दियों के जाने और वसंत के आगमन का संकेत देता है, जो दिलों को आशा और खुशी से भर देता है।
Lohri 2025: लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का त्योहार किसानों के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह गेहूं, गन्ना और सरसों जैसी रबी फसलों की कटाई का मौसम है। यह बुवाई के मौसम के अंत और नई कृषि की शुरुआत का भी प्रतीक है। कृषि से परे, लोहड़ी का त्योहार समुदायों को प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और समृद्धि और उर्वरता के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए एक साथ लाता है।