आंगनबाड़ी कर्मियों की हड़ताल से तीन हजार से अधिक केंद्रों पर लटके ताले, नौनिहालों को नहीं मिल रहा पुष्टाहार

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मुंबई: राजव्यापी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की 20 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है।लेकिन अब तक राज्य सरकार ने इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर चले जाने का सबसे ज्यादा खामियाजा ग्रामीण क्षेत्रो के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ रहा।

आंगनबाड़ी कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण केंद्रों में गर्भवती महिलाओ और बच्चो को दिया जाने वाला पूरक पौष्टिक आहार, गर्म ताजा भोजन एवं अमृत आहार योजना पूर्ण रूप से बंद है। ऐसे में उनके स्वास्थ्य की समस्या होगी। साथ ही बच्चों का वजन और लंबाई नापने, न्यूट्रिशन ट्रैकर पर जानकारी भरने का काम बंद है। हड़ताल के कारण पालघर के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कुपोषण के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान दम तोड़ता नजर आ रहा है।

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6 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका के हड़ताल पर जाने से करीब 3300 आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताला लटका है। जिससे कुपोषित बच्चों को मिलने वाला पोषण आहार भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। कुपोषित बच्चों के लिए समस्या बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। पालघर के मोखाड़ा, जव्हार, विक्रमगढ़, दहानू, वाडा जैसे ग्रामीण इलाको में आदिवासी बच्चो का कुपोषित होना एक बड़ी समस्या है। कुपोषण के खिलाफ जारी लड़ाई में आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका की भूमिका काफी अहम है। ऐसे में काम करते समय इन्हे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इनका आरोप है, कि सरकार इनके मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए मजबूरन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने आंगनबाड़ी कृति समिति के अगुवाई में 20 फरवरी से शुरू हुई अनिश्चितकालीन हड़ताल में भाग लिया है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए सरकार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग है, कि उनका पारिश्रमिक दोगुना करना चाहिए। बच्चों को दिए जाने वाले पूरक पोषाहार की दर में कम से कम दो गुना वृद्धि की जाए। आंगनबाड़ी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनके वेतन का कम से कम आधा मासिक पेंशन दिया जाए।

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